`सैफई महोत्सव` के बचाव में उतरे अखिलेश, मीडिया पर हुए आगबबूला

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को `सैफई महोत्सव` का बचाव किया। मीडिया में इस बात की आलोचना हो रही है कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित राहत शिविरों में कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं जबकि अखिलेश सरकार बॉलीवुड कलाकारों को सैफई में बुलाकर मनोरंजन कर रही है और समारोह पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं।

ज़ी मीडिया ब्यूरो
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को `सैफई महोत्सव` का बचाव किया। मीडिया में इस बात की आलोचना हो रही है कि मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित राहत शिविरों में कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं जबकि अखिलेश सरकार बॉलीवुड कलाकारों को सैफई में बुलाकर मनोरंजन कर रही है और समारोह पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा, `हम कई वर्षों से सैफई महोत्सव का आयोजन करते आ रहे हैं। हम चाहे में सत्ता में रहे हों अथवा नहीं, समारोह का आयोजन होता रहा है।`
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि `सैफई महोत्सव` से उत्तर प्रदेश के पर्यटन को काफी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा, `इस समारोह के लिए स्थानीय लोग वर्ष भर से तैयारी करते हैं।`
लखनऊ में `डेढ़ इश्किया` का आज प्रीमियर होना था लेकिन `सैफई महोत्सव` की मीडिया में हो रही आलोचना को देखते हुए प्रीमियर रद्द किया गया। इस प्रीमियर में अखिलेश को भी शरीक होना था। अखिलेश ने कहा, `वह मुजफ्फरनगर दंगे पर सवालों का जवाब देने और राज्य सरकार द्वारा चलाए गए राहत कार्यों के बारे में बात करने के लिए तैयार हैं।`
अखिलेश ने `सैफई महोत्सव` को लेकर कथित रूप से की जा रही गलत रिपोर्टिंग पर मीडिया पर भी निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, `मीडिया में जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि समारोह पर 300 करोड़ रुपए खर्च किए गए, उन्हें माफी मांगनी चाहिए। `सैफई महोत्सव` पर 6-7 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च नहीं हुए। `सैफई महोत्सव` को लेकर नकारात्मक प्रचार करने के लिए मीडिया को मुझसे और नेताजी से माफी मांगनी चाहिए।` अखिलेश ने कहा कि `सैफई महोत्सव` के लिए प्रतिवर्ष 7 करोड़ रुपए का अधिकतम बजट रखा जाता है। कभी-कभी बढ़कर यह 10 करोड़ रुपए हो जाता है लेकिन बजट इससे ज्यादा कभी नहीं बढ़ता। सैफई महोत्सव से जुड़े ज्यादातर लोग गरीब हैं।

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