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नई दिल्ली : महंगाई और अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को आम आदमी को यह कहकर एक और झटका दे दिया कि खराब मानसून की वजह से मुद्रास्फीति को काबू में करने में कुछ दिक्कतें आएंगी। मनमोहन ने लालकिले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में कहा कि वैश्विक मंदी और देश के अंदर की समस्याओं की वजह से आर्थिक वृद्धि पर बुरा असर पड़ा है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रही थी, इस साल इसके कुछ बेहतर होने की उम्मीद है। वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर नौ साल के न्यूनतम स्तर तक गिर गई थी। प्रधानमंत्री ने महंगाई को काबू में करने पर जोर देते हुए कहा कि हमें मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना होगा। इस साल खराब मानसून की वजह से इसमें कुछ दिक्कतें आ सकतीं हैं।
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के कई उपाय किए गए हैं। जिन जिलों में बरसात 50 प्रतिशत अथवा उससे कम रही है वहां सरकार किसानों को डीजल पर सब्सिडी दे रही है। बीज सब्सिडी भी बढ़ाई गई है और चारे के लिए केंद्र की योजना में उपलब्ध राशि बढ़ा दी गई है। देश में अब तक मानसून की बरसात सामान्य से 16 प्रतिशत तक कम रही है। खरीफ फसलों की बुआई पर इसका असर पड़ा है। कुछ राज्यों में सूखे जैसी स्थिति के चलते कई खाद्य पदार्थों के दाम ऊंचे बने हुए हैं।
मनमोहन ने कहा कि सबसे अच्छी बात यह है कि हमारे किसानों की कड़ी मेहनत से देश में अनाज का बहुत बड़ा भंडार है और अनाज की उपलब्धता की समस्या हमारे सामने पैदा नहीं होगी। आर्थिक वृद्धि तेज करने के मुद्दे पर मनमोहन ने कहा कि कई मुद्दों पर राजनीतिक आम सहमति नहीं होने की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। राजनीतिक दलों को दिए संदेश में उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी विकास प्रक्रिया से जुड़े मामलों को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की तरह देखें। (एजेंसी)