कर्नाटक में भाजपा सरकार को अस्तित्व का संकट

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के अस्तित्व को लेकर चल रही अटकलबाजियों के बीच सोमवार से मौजूदा विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल का आखिरी सत्र शुरू होने जा रहा है।

बेंगलूर : कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार के अस्तित्व को लेकर चल रही अटकलबाजियों के बीच सोमवार से मौजूदा विधानसभा के पांच साल के कार्यकाल का आखिरी सत्र शुरू होने जा रहा है। बड़े पैमाने पर विधायकों के पाला बदलने से सरकार के सामने संकट खड़ा हो गया है। 10 दिनों के लिए यह सत्र इसलिए बुलाया गया है, ताकि आठ फरवरी को मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार पहला बजट पेश कर सकें। राज्य में पहली बार शासन में आई भाजपा के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शेट्टार ने छह माह पहले सत्ता संभाली थी।
मई के अंत में 225 सदस्यों वाली विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। 225 विधायकों में से 224 निर्वाचित सदस्य हैं और एक सदस्य नामित है। नई विधानसभा के लिए चुनाव अप्रैल-मई में कराए जाने की सम्भावना है।
सत्र से पहले संख्या बल को लेकर भाजपा खुद को वैसी ही स्थिति में पा रही है, जैसी स्थिति में वह 2008 में हुए पिछले चुनाव के समय थी। तब उसने 110 सीटों पर जीत दर्ज की थी, और छह स्वतंत्र विधायकों में से पांच की मदद से उसने बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया था।
अपने दम पर बहुमत हासिल करने से उत्साहित भाजपा ने अपने शासन के प्रथम दो वर्षो के दौरान कांग्रेस और जलता दल (सेक्युलर) के विधायकों को तोड़कर अपने खेमे में शामिल किया। कई विधायकों ने सदन से और अपनी पार्टी से इस्तीफा देकर भापजा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत कर विधानसभा पहुंचे। इस तरीके से भाजपा का आंकड़ा 120 तक पहुंच गया।
अब यही आंकड़ा घटकर विधानसभा अध्यक्ष सहित 106 तक पहुंच गया है। एक ने बहुत पहले और 13 ने अभी हाल ही में विधानसभा से इस्तीफा दिया है। 14 विधायकों के इस्तीफे के बाद सदन में सदस्यों की संख्या घटकर 211 रह गई है, जियमें छह निर्दलीयों सहित विपक्ष का संख्या बल 103 है। इनमें से कांग्रेस के 71, जद (एस) के 26 विधायक हैं।
अपने 106 विधायकों के अलावा भाजपा को सात में से एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल है। यह विधायक सरकार में कबीना स्तर के मंत्री हैं। यदि सोमवार को दो विधायकों के लंबित इस्तीफे को विधानसभ अध्यक्ष स्वीकार कर लेते हैं तो उस स्थिति में भाजपा की संख्या घटकर 104 रह जाएगी।
विधायकों की इस भगदड़ की शुरुआत 30 नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद शुरू हुई। विधानसभा और पार्टी छोड़ कर येदियुरप्पा ने अपनी कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) खड़ी की है। सभी की निगाहें अब राज्यपाल एच.आर. भारद्वाज पर टिकी हैं। राज्यपाल ने कहा है कि यदि उन्हें लगेगा कि सरकार एक मत से भी अल्पमत में है तो उस स्थिति में वह शेट्टार को सब काम छोड़कर पहले विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश देंगे। चार फरवरी को भारद्वाज विधानमंडल के अधिवेशन को संबोधित करेंगे। यह नए साल में पहला सत्र होगा। (एजेंसी)

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