Biogas: भारत को बायोगैस के अग्रणी के रूप में जाना जाता है और अब विकास की दौड़ में कई दिग्गज इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं. इस हरित ईंधन में ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख भारतीय खिलाड़ियों की ओर से इसमें नए सिरे से रुचि दिखाई गई है. दरअसल, बायोगैस की शुरुआत 1897 में हुई, जब ब्रिटिश सिविल इंजीनियर चार्ल्स जेम्स ने बॉम्बे के माटुंगा में होमलेस लेपर असाइलम के जल निकासी पर अपने काम के दौरान पहला बायोगैस संयंत्र शुरू किया था. तब से बायोगैस भारतीय घरों, सामुदायिक सुविधाओं और डेयरी फार्मों के लिए ऊर्जा का एक स्थायी स्रोत रहा है. 


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बायोगैस


भारतीय बायोगैस एसोसिएशन ने इस क्षेत्र में 1.75 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 2030 तक 5000 बायोगैस संयंत्रों की स्थापना का अनुमान लगाया है. वहीं अब अंबानी, अडानी और इंडियन ऑयल जैसे दिग्गज अब इस साधारण बायोगैस में दिलचस्पी ले रहे हैं. प्रमुख ऊर्जा ग्रुप रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 100 संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र स्थापित करने की योजना के बारे में ऐलान किया है, जो हरित ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव का संकेत है. वहीं अडाणी ग्रुप के हिस्सा अडाणी टोटल गैस का अगले पांच वर्षों के भीतर पांच सीबीजी संयंत्र स्थापित करने का इरादा है. 


बायोएनर्जी सॉल्यूशंस


इसके अलावा पुणे स्थित थर्मैक्स ने थर्मैक्स बायोएनर्जी सॉल्यूशंस लॉन्च करने के लिए एवरएनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट के साथ साझेदारी की है, ताकी जैव-सीएनजी परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य हासिल किया जा सके. उद्योग के अंदरूनी सूत्रों से पता चलता है कि EverEnviro आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए तैयार है. उनकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड (जीजीईएफ) की देश भर में 14 सीबीजी संयंत्र स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना है.



तेल कंपनियां भी रेस में


इसके अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) ने संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्रों की स्थापना के लिए कई आशय पत्र जारी किए हैं. सीबीजी, अपशिष्ट और बायोमास स्रोतों से प्राप्त एक हरित ईंधन है और इसके गुण संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) और ऑटोमोटिव, औद्योगिक और वाणिज्यिक अनुप्रयोगों सहित विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के समान है. 


बायोगैस हो रही लोकप्रिय


ऐसे सवाल उठता है कि आखिर इन कंपनियों ने बायोगैस की ओर अपना ध्यान आकर्षित क्यों किया? इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) के अध्यक्ष गौरव केडिया ने कहा, "यह बायोगैस का तकनीकी, वित्तीय और सामाजिक पहलू है. तकनीक अब परिपक्व हो रही है, इसलिए लोग अब बड़े पैमाने पर बायोगैस संयंत्र स्थापित कर सकते हैं." इसके अतिरिक्त इन पौधों से जैविक उर्वरक लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है. वहीं कोविड -19 महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य जागरूकता के बढ़ने के कारण भी इसमें इजाफा देखने को मिला है.