हैदराबाद और दिल्ली रेप से सहमी संसद गेट पर विरोध करती अनु ने कहा 'मैं जलूंगी लेकिन लड़ूंगी'

2012 की घटना याद होगी आपको. देश की राजधानी दिल्ली में निर्भया का गैंगरेप. आरोपियों को सजा तो मिली, लेकिन 6-7 साल लग गए. उस दिल दहला देने वाली घटना के बाद पूरे देश में जो आग थी, वह शांत हो गई लेकिन मनचले बदमाशों या यूं कहें कि हैवानों के मंसूबों में कोई बदलाव नहीं आया. दिल्ली की वह लड़की जिसका रेप किया गया, उसने आज अस्पताल में दम तोड़ दिया. एक दिन पहले हैदराबाद में दो महिलाओं का रेप कर जला दिया जाना, यह दिखाता है कि इंसानियत कब की मर चुकी है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 30, 2019, 05:09 PM IST
    • पहले रेप किया, गला घोंटा और फिर जला दिया मासूम को
    • रेप के बाद हो रहा विरोध लेकिन किसके खिलाफ
    • सहमी-डरी लड़की जो पहुंच गई संसद भवन विरोध करने
    • अनु ने कहा मै जलूंगी लेकिन लड़ूंगी
हैदराबाद और दिल्ली रेप से सहमी संसद गेट पर विरोध करती अनु ने कहा 'मैं जलूंगी लेकिन लड़ूंगी'

नई दिल्ली: देश की सबसे शर्मनाक घटनाओं में से एक निर्भया गैंगरेप के बाद समाज के हर तबके की आंखों में आंसू थे. विरोध चरम पर था. अपराधियों को फांसी देने की मांग को लेकर लोग सड़कों पर थे. जगह-जगह कैंडल मार्च किया जा रहा था.

सबकुछ हुआ पर स्थितियां नहीं बदलीं. समाज के वो नरभक्षी नहीं बदले.

तेलांगना के हैदराबाद में एक 25 साल की पशु चिकित्सक महिला के साथ पहले सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है, इसके बाद गला घोट कर उसकी हत्या कर दी जाती है और बाद में कोई सबूत ना मिले इसके लिए उसे हैदराबाद से 25 किमी दूर ले जा कर शमशाबाद में जला दिया जाता है, पेट्रोल छिड़क कर.

यह सब सुनने में कितना मार्मिक लग रहा है न लेकिन सोचिए कि उस निर्दोष लड़की के साथ क्या बीती होगी.

पहले रेप किया, गला घोंटा और फिर जला दिया मासूम को 

यह तो हुई सिर्फ एक घटना. 9 दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में भी इसी तरह एक लड़की के साथ उसका पड़ोसी रेप करता है और बाद में उसे जला कर मारने की कोशिश करता है. किसी तरह उस दिन तो वह बच जाती है, लेकिन 9 दिनों तक अस्पाताल में वह पीड़ा बर्दाश्त कर पाने के बाद दम तोड़ देती है.

सही तो है, वह रह कर भी क्या करती, ऐसी दुनिया में जहां उनको सड़क चलते हर पुरुष से डर लगे.

तेलांगना और दिल्ली में घटी यह घटनाएं पूरे देश को स्तब्ध कर गई है. हैदराबाद में ही आज सुबह एक और घटना की जानकारी मिलती है.

शमसाबाद में जहां पशु चिकित्सक महिला की घटना को अंजाम दिया गया था, उससे तकरीबन 2 किमी की दूरी पर ही एक और महिला की लाश मिलती है. लाश जो जल चुकी थी, वो लाश जिसने मौत से पहले रेप की पीड़ा को सहा था. 

रेप के बाद हो रहा विरोध लेकिन किसके खिलाफ

शमशाबाद से मिली दूसरी बदनसीब महिला का नाम कविता बाई है जिनके बारे में शायद उनके घरवालों को भी नहीं पता था कि वह हैं कहां. जब तक कि सायबराबाद पुलिस ने उन्हें इस आपत्ति के बारे में इत्तेला नहीं किया.

अब फिर से वहीं सिलसिला शुरू हो गया है. देश में विरोध प्रदर्शन धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगा है. हैदराबाद की सड़कों पर हजारों की संख्या में महिलाएं निकल कर विरोध जताने लगीं, दिल्ली में भी युवतियों की चीखें लोगों के कान में पहुंची और संवेदना सीधे दिल में उतर गई.

लोग विरोध को तो आने लगे लेकिन सवाल यह है कि आखिर किसके खिलाफ ? 

सहमी-डरी लड़की जो पहुंच गई संसद भवन विरोध करने

इन घटनाओं से लड़कियां और महिलाएं सहम गईं हैं. उन्हें इस बात की गारंटी कौन दे कि वे सुरक्षित हैं, ऐसे दरिंदों से. राजधानी दिल्ली में शनिवार की सुबह एक लड़की अनु दुबे प्लेकार्ड लेकर पार्लियामेंट गेट पहुंच गई. अनु हैदराबाद और दिल्ली में हुए रेप और मर्डर के वारदात से सहम उठी है.

संसद के बाहर बैठी अनु ने वीडियो बनाया और कहा अब वह नहीं डरना चाहती और उन निर्दोष युवतियों के लिए यहां सदन के बाहर बैठी है. मीडिया वाले जब वहां पहुंचे तो अनु रो रही थी और चीख-चीख कर यह पूछ रही थी कि क्या बदल गया इतने सालों में. मां-बाप जल्दी घर आने की सलाह देते हैं और पुलिस बस रसूखदार लोगों की सुनती है. 

अनु ने कहा मै जलूंगी लेकिन लड़ूंगी

अनु ने पूछा लड़कियां कब तक डरती रहेंगी ? कल हैदराबाद में और दिल्ली में जो हुआ, वहीं कल को मेरे साथ होगा. अनु कहती है मैं जलूंगी लेकिन लडूंगी. इतना करने के बाद पुलिस अनु को वहां से उठा कर पुलिस स्टेशन ले जाती है.

अनु कहती हैं कि पुलिस उसके साथ यह बर्ताव क्यो कर रही है. उसका बैग चेक करना, उसे जबरदस्ती वहां से हटाना और अब मेडिकल चेकअप करवाना. यह ज्यादती है. 

लेकिन उन पुलिसवालों को कौन समझाए कि जिस लड़की का वे मेडिकल टेस्ट करा दिमागी हालत जानने की कोशिश कर रहे हैं, उसके दिमाग में दरअसल सिर्फ एक ही चीज घर कर गई है, वह है डर.

सहम गई है वह इस हैवानियत से कि कल को उसके साथ कहीं ऐसा हो गया तो ? सवाल यह है कि आखिर कोई महिला यह कैसे मान ले कि वह सुरक्षित है ? राह चलते उसे अपने पीछे चलने वाले हर इंसान से डर क्यों न लगे ?

 

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