नई दिल्ली: सभी निरोगी रहें के दर्शन को साथ लेकर चलने वाला आज अपना देश कोरोना के कहर से जूझ रहा है. चीन के एक शहर से दुनिया भर में फैल जाने वाले इस वायरस ने सभी की नाक में दम कर रखा है और वैज्ञानिक चिकित्सा विज्ञान में इसका हल खोज रहे हैं. संकट की इस घड़ी में हमें अपने आयुर्वेद और भारतीय मनीषा की ओर एक बार फिर ध्यान से देखने की जरूरत है.
क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेद में यह प्राचीन काल से स्पष्ट है कि वात-पित्त और कफ का असंतुलन होना ही रोग होना है. कई बार यह असंतुलन मौसम और जलवायु परिवर्तन पर होता है तो कई बार सूक्ष्म परजीवी कारकों यानी कि जीवाणु-विषाणु के आधार पर. आयुर्वेद वात-पित्त-कफ के संतुलन पर जोर देता है और इसके लिए योग व आसन की कई प्रक्रियाएं हैं.
इन्हीं में शामिल षटकर्म क्रियाएं शरीर का आंतरिक शोधन करती हैं और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर किसी भी संक्रमण से दूर रखती हैं. इसलिए जरूरी है कि किसी योगाचार्य की देखरेख में इनका अभ्यास किया जाना चाहिए.
कोरोना के डर के बीच पूरी दुनिया के व्यापार पर कब्जा जमा रहा है चीन
छह क्रियाओं का मेल है षट्कर्म
षट्कर्म की छह क्रियाएं (नेति क्रिया, धौति क्रिया, वस्ति क्रिया, नौलि क्रिया, कपाल भांति क्रिया व त्राटक) हैं. इसमें से नेति क्रिया में जल नेति, सूत्र नेति व धौति क्रिया में कुंजल क्रिया शामिल हैं. आज कोरोना वायरस से दुनिया जूझ रही है, लेकिन पहले से ही इन क्रियाओं को करते रहना आंतरिक सेनेटाइजेशन की तरह काम करता है.
षट्कर्म क्रियाओं में मुंह, नाक, गला की सफाई की जाती है. सूत्र नेति क्रिया करने के बाद गाय का देशी घी या फिर बादाम व अखरोट का तेल को नाक में डालना चाहिए, ताकि अंदर की त्वचा नरम रहे.
इन क्रियाओं को विस्तार से बताते हैं
जल नेतिः इस किया में हमें जल का प्रयोग करना होता है. इसमें नासिका छिद्रों से धीरे-धीरे पानी डाला जाता है. इसके लिए नलीदार बर्तन का उपयोग करते हैं. लेकिन आपको पानी नाक से खींचना नहीं है. ऐसा करने से आपकों परेशानी का अनुभव हो सकता है.
इसे करते रहने से सर्दी-जुकाम और खांसी की शिकायतों से व्यक्ति मुक्त रहता है.
कोरोना वॉरियर्स को मिलेगा 50 लाख का बीमा कवर
सूत्र नेतिः इसे करने के लिए एक मोटा और कोमल धागा लीजिए जो नासिका छिद्र में आसानी से जा सके. इसे हल्के गर्म पानी में भिगो लें और इसका एक छोर नासिका छिद्र से डालकर मुंह से बाहर निकालने का प्रयास करें.
इससे नाक और गले की आंतरिक सफाई होती है और इससे गलें में खराश व नाक का संक्रमण दूर किया जा सकता है.
कुंजल क्रियाः इस क्रिया का अभ्यास से पेट व गले का संक्रमण दूर किया जा सकता है. इस क्रिया में चार से पांच गिलास पानी पीना होता है, इसमें गुनगुना पानी, दो चममच सैंधा नमक डालकर पीना होता है. पानी पीने के बाद उल्टी कर सारा पानी निकाल देना होता है. जिससे आंतरिक हिस्सों में हुए संक्रमण को साफ किया जा सके.
इसे करते रहने से सर्दी-जुकाम और खांसी की शिकायतों से मुक्ति मिलती है. कोरोना के प्रारंभिक लक्षण यही हैं, इसलिए इस क्रिया के जरिए संक्रमण से बचाव किया जा सकता है.