देहरादून: दुकानों पर बनने वाले पकौड़े, कचौरी, समोसे, पूड़ी तलने के बाद बचने वाले तेल से अब बायोडीजल (Biodiesel) बनाने की शुरुआत हो चुकी है. क्योंकि यूज्ड कुकिंग ऑयल (Used Cooking Oil) सेहत के लिए खतरनाक होता है और ऐसे में अब देहरादून (Dehradun) के आईआईपी के वैज्ञानिक यूज्ड कुकिंग आयल से बायोडीजल बना रहे हैं. वैज्ञानिक अब आम लोगों को भी जागरूक करने के लिए प्रोग्राम तैयार कर रहे हैं.


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वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से देश में पेट्रोलियम पदार्थों की मांग बढ़ी हैं. ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों को बनाने के नए विकल्प के बारे में विचार करना जरूरी है और उसी कड़ी में देहरादून के आईआईपी के वैज्ञानिकों ने कुकिंग ऑयल से बायोडीजल बनाने का प्लांट तैयार किया है.



100 लीटर कुकिंग ऑयल से 90 लीटर बनाया जा रहा है डीजल
आईआईपी में रसोई में बचे हुए तेल से अब कार चलाने के डीजल बनाने का प्लांट शुरू हो गया है. आईआईपी के वैज्ञानिक लगातार यूज्ड कुकिंग ऑयल से बायोडीजल बना रहे हैं. आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे का कहना है कि वैज्ञानिक लगातार कुकिंग आयल से बायोडीजल बना रहे हैं, जिसका प्रयोग वाहनों में शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से प्लांट ने काम करना शुरू किया है. अब छोटे-छोटे प्लांट गांव स्तर पर भी लगाए जाएंगे और गांव में ही कुकिंग आयल से बायोडीजल बनाया जाएगा.


 



वैज्ञानिक लगातार लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं. इसके लिए 5 लीटर यूज्ड कुकिंग आयल अगर कोई उपलब्ध कराता है तो उसे फ्रेश 1 लीटर कुकिंग आयल बदले में दिया जाएगा. गांव और शहरों और गांवों में जिस तरह से कुकिंग आयल को बार-बार यूज किया जा रहा है. वह सेहत के लिए खतरनाक है, ऐसे में अब वैज्ञानिक एक नई मुहिम भी चलाने जा रहे हैं, जिससे लोग अपने घरों के यूज्ड कुकिंग आयल को वापस दे सकें. 


डीजल से जहां वाहन चलाने की तैयारी है. वहीं सेहत को भी नासाज होने से बचा जा सकता है. फिलहाल जिस तरह से देश में पेट्रोलियम पदार्थों की मांग बढ़ रही है. ऐसे में यूज्ड कुकिंग आयल से बायोडीजल आम लोगों के लिए जहां फायदेमंद हो सकता है.