Desi Jugaad Viral Video: सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें एक मशीन फर्राटेदार तरीके से हैंडराइटिंग में नोट्स तैयार कर रही है. सबसे हैरानी वाली बात यह है कि नोट्स में ह्यूमन का कोई भी रोल नहीं है. चाहे पन्ने को पलटने का या फिर कॉपी को एडजस्ट करने का, किसी भी तरह से इंसान का कोई हस्तक्षेप नहीं. आपको सिर्फ और सिर्फ पीछे होकर बैठना है और देखना है कि मशीन आखिर क्या कर रही है. जैसा कि वीडियो के कैप्शन में दावा किया गया है कि यह एक एआई बेस्ड मशीन है, जिसे भारतीय इंजीनियर ने जुगाड़ से तैयार किया था और अब यह नया रूप ले चुका है.


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केरल के देवदत्त पीआर ने बनाई "होमवर्क मशीन"


हैंडराइटिंग वाला यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. फिलहाल, कुछ दिन पहले भी ऐसा ही वीडियो सामने आया था जिसमें एक भारतीय शख्स मिलता-जुलता हैंडराइटिंग मशीन का यूज कर रहा था. बताया जा रहा है कि केरल के रहने वाले देवदत्त पीआर नाम के एक डिजाइनर, इंजीनियर और उद्यमी ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो आपके लिए आपके होमवर्क को आपकी अपनी लिखावट में लिख सकती है. यह मशीन एक रोबोटिक हाथ और एक कैमरा से लैस है जो आपके होमवर्क असाइनमेंट को स्कैन करता है और फिर उसे आपकी अपनी लिखावट में लिखता है.


 



 


कैसे देवदत्त ने बनाई ये मशीन


यह मशीन उन छात्रों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है जो होमवर्क करने में संघर्ष करते हैं या जिनके पास समय की कमी होती है. देवदत्त पीआर का मानना ​​है कि यह मशीन शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है. यह निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी आविष्कार है जो शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव ला सकता है. कॉलेज की सैकड़ों पन्नों की लैब रिपोर्ट लिख-लिखकर परेशान देवदत्त ने ये मशीन बनाई. उन्होंने प्रोग्रामिंग लैंग्वेज "पायथन" का इस्तेमाल किया, साथ ही रोबोटिक्स, ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जानकारी का भी सहारा लिया.


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क्या है देवदत्त पीआर का किस्सा?


ये मशीन रट्टा लगाने और घंटों हाथ दुखाने वाले होमवर्क से निजात दिलाती है. एक मजेदार किस्सा ये भी है कि जब देवदत्त ने पहली बार इस मशीन से किया हुआ होमवर्क टीचर को दिया, तो उन्हें शक हुआ. असल में, लिखावट बहुत साफ और एक जैसी थी. पकड़े जाने पर देवदत्त वापस गए और उन्होंने 120 लाइन्स का नया कोड लिखा ताकि लिखाई असली इंसान की तरह थोड़ी टेढ़ी-मेढ़ी हो जाए. उनका ये तरीका काम कर गया और टीचर को फिर कभी शक नहीं हुआ.