Indian Railway Facts: ट्रेन का सफर हमेशा एक नया रोमांच लेकर आता है. यात्री के मन में एक अलग प्रकार का कौतुहल होता है. वो सफर के दौरान कई अलग-अलग प्रकार के अनुभवों को समेटते हुए चलता है. सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए जानी जाने वाली रेलवे को देश के लिए लाइफलाइन कहा जाता है. लेकिन क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि ट्रेन के डिब्बों पर खास प्रकार के कोड लिखे होते हैं, जिसमें कई राज छिपे होते हैं.


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डिब्बे पर 5 डिजिट में कई प्रकार की जानकारी छिपी होती है. इसमें बोगी के बारे में, उसके निर्माण का वर्ष और कोच के प्रकार के बारे में जानकारी होती है. 5 में से पहले 2 नंबर बताते हैं कि कोच को किस साल में तैयार किया गया था. वहीं, आखिरी के तीन नंबर बताते हैं कि कोच किस प्रकार का है.


पहले दो कोड का मतलब


डिब्बे पर लिखे कोड से अगर आपको कोच के बारे में जानकारी निकालनी है तो इसे दो भागों में बांटकर देखना चाहिए. जैसे अगर किसी कोच का नंबर 00296 है तो इसे 00 और 296 में बांट लीजिए. इसके पहले दो कोड का अर्थ है कि इसे साल 2000 में तैयार किया गया है. अगर किसी कोच पर 95674 लिखा है तो इसका मतलब, इस कोच का निर्माण 1995 में हुआ होगा.


बाद के 3 कोड का अर्थ
5 नंबर में बाद के तीन नंबर्स का मतलब उसके प्रकार से होता है. जैसे अगर कोच का नंबर 00296 है तो इसका दूसरा हिस्सा यानी 296 बताता है कि ये स्लीपर (सेकंड क्लास स्लीपर) कोच है. वहीं, अगर कोच का नंबर 95674 है तो इसका मतलब ये सेकंड क्लास सीटिंग/जन शताब्दी चेयर कार है.


नीचे दिए गए टेबल से आप बाद के तीन नंबर के माध्यम से कोच की पहचान कर सकते हैं.


नंबर अर्थ
001-025 एसी फर्स्ट क्लास
026-050 कंपोजिट (1AC + AC-2T)
051-100 एसी-टू टियर
101-150 एसी- थ्री टियर
151-200 सीसी (एसी चेयर कार)
201-400 स्लीपर (सेकंड क्लास स्लीपर)
401-600 जनरल सेकंड क्लास
601-700 सेकंड क्लास सीटिंग/जन शताब्दी चेयर कार
701-800 सीटिंग कम लगेज रैक
801+ पैंट्री कार, जनरेटर और मेल

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