मां का सपना पूरा करना चाहते थे दो बेटे, 100KM दूर आए; कंधे पर बैठाकर पहाड़ों पर चले; आखिर में दिखा ऐसा नजारा
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मां का सपना पूरा करना चाहते थे दो बेटे, 100KM दूर आए; कंधे पर बैठाकर पहाड़ों पर चले; आखिर में दिखा ऐसा नजारा

Mother Elikutty Paul:  यह फूल 12 सालों में केवल एक बार ही खिलता है. कोट्टायम जिले के मुत्तुचिरा की रहने वाली 87 वर्षीय एलिकुट्टी पॉल (Elikutty Paul) ने अपने एक बेटे से कहा कि वह इडुक्की के पड़ोसी जिले में खिले दुर्लभ फूलों को देखना चाहती हैं.

 

मां का सपना पूरा करना चाहते थे दो बेटे, 100KM दूर आए; कंधे पर बैठाकर पहाड़ों पर चले; आखिर में दिखा ऐसा नजारा

Neelakurinji Flower: दिल को छू लेने वाले वीडियो में केरल के दो पुरुषों ने अपनी बूढ़ी मां को अपने कंधों पर उठा लिया और उनके सपने को पूरा करने के लिए एक खड़ी पहाड़ी पर चढ़ गए, जो पश्चिमी घाट में एक दुर्लभ फूल नीलकुरिंजी (Neelakurinji Flower) को देखने के लिए था. दावा किया जाता है कि यह फूल 12 सालों में केवल एक बार ही खिलता है. कोट्टायम जिले के मुत्तुचिरा की रहने वाली 87 वर्षीय एलिकुट्टी पॉल (Elikutty Paul) ने अपने एक बेटे से कहा कि वह इडुक्की के पड़ोसी जिले में खिले दुर्लभ फूलों को देखना चाहती हैं. मालूम हो कि एलिकुट्टी पॉल उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिसकी वजह से वह ठीक ढंग से ऊंचाई या पहाड़ों पर नहीं चढ़ सकतीं.

जीप से करीब 100 किलोमीटर का तय किया सफर

बिना कुछ सोचे उनके बेटे रोजन और सत्यन उन्हें एक जीप पर ले गए और मुन्नार के पास कालीपारा पहाड़ियों तक पहुंचने के लिए करीब 100 किलोमीटर की यात्रा की. लेकिन वहां पहुंचने के बाद ही परिवार को पता चला कि पहाड़ी की चोटी पर चलने योग्य सड़कें नहीं हैं. वे अपनी मां के सपने को छोड़ना नहीं चाहते थे, फिर दोनों बेटों ने अपनी बुजुर्ग मां को अपने कंधों पर उठा लिया और पहाड़ी की चोटी पर लगभग 1.5 किमी की चढ़ाई की, जो नीलकुरिंजी फूलों के साथ बैंगनी रंग के मैदान में बदल गई. नीलकुरिंजी (Strobilanthes kunthiana) एक दुर्लभ फूल है जो पश्चिमी घाट में पाया जाता है और बारह वर्षों में केवल एक विशेष क्षेत्र में खिलता है.

देखेें वीडियो-

 

मुन्नार में अगला नीलकुरिंजी खिलना 2030 में ही होगा

सबसे प्रसिद्ध नीलकुरिंजी खिलने वाला स्थान इडुक्की जिले का मुन्नार हिल स्टेशन है. मुन्नार में अगला नीलकुरिंजी खिलना 2030 में ही होगा. लेकिन अगर आप इस दुर्लभ घटना को देखने के लिए 2030 तक इंतजार नहीं करना चाहते हैं, तो चिंता न करें. 2018 से, नीलकुरिंजी तमिलनाडु के कोडाइकनाल, कर्नाटक के कोडागु और केरल के पूपरा में खिले हैं. इस साल कर्नाटक के चिकमगलूर और केरल के कालीपारा में नीलकुरिंजी खिले हैं. इडुक्की जिले में मुन्नार के पास काल्लीपारा गांव है, और नीलकुरिंजी खिलने तक पर्यटन मानचित्र पर भी नहीं था.

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