भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में दिवाली सबसे खास माना जाता है. देश के अलग-अलग राज्यों में कर्नाटक और तमिलनाडु (Karnataka and Tamil Nadu) की सीमा पर स्थित गुमतापुरा गांव में, स्थानीय लोग हर साल गोबर की लड़ाई के साथ दिवाली का समापन करते हैं.
इस उत्सव में हिस्सा लेने वाले गांव के लोग दोपहर में गाय-मालिकों के घरों में जाते हैं और अपना गोबर को इकट्ठा करते हैं. इसके बाद गाय के गोबर को ट्रैक्टर से गांव के मंदिर में लाया जाता है. (Image: ANI)
मंदिर के पंडित द्वारा गोबर की पूजा की जाती है और फिर बड़ी संख्या में इकट्ठे किए गए गोबर को खुले मैदान में रख दिया जाता है. इसके बाद, पुरुष खुले मैदान में घुस जाते हैं और गोबर के गोले या यूं कहें लड्डू बनाकर एक दूसरे पर फेंकने लग जाते हैं.
इस उत्सव को देखने के लिए हर साल भारत के विभिन्न हिस्सों से लोग गुमतापुरा गांव में आते हैं. कहा जाता है कि गोबर की लड़ाई देखने से स्वास्थ्य लाभ होता है.
स्थानीय किसान महेश ने एएफपी की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा, 'अगर किसी को कोई बीमारी है, तो वह इस फेस्टिवल में हिस्सा लेने से ठीक हो जाएगा.'
कोविड-19 महामारी के बावजूद 2020 में भी 'गोरहब्बा उत्सव' मनाया गया था. हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने आयोजन की अनुमति दी थी और कम संख्या में लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया था.
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