भारतीय रेलवे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसे लगभग 25 मिलियन लोगों की जीवन रेखा माना जाता है. इस तथ्य को देखते हुए कि इतने सारे लोग भारतीय रेलवे पर निर्भर हैं, रेलवे विभाग ने यात्रियों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं और उठा भी रहा है.
क्या आपने कभी रेलवे स्टेशन पर पीले रंग के बोर्ड पर 'P.H.' लिखा हुआ देखा? अगर हां, तो चलिए हम आपको बतलाते हैं. 'P.H.' का अर्थ है 'पैसेंजर हॉल्ट'. ट्रेन के सफर के दौरान हमें ऐसे पैसेंजर हाल्ट स्टेशन आते हैं. ये स्टेशन वास्तव में क्लास 'डी' स्टेशनों के अंतर्गत आते हैं. इन स्टेशनों पर लूप लाइन और सिगनल नहीं होने के कारण कोई कर्मचारी तैनात नहीं होते.
जैसा कि नाम से पता चलता है, इन स्टेशनों पर केवल यात्री ट्रेनें ही रुकती हैं. लेकिन एक पैसेंजर ट्रेन का लोको पायलट रुक जाता है और यहां से खुद ही चल पड़ता है. लोको पायलट निर्देशानुसार, ट्रेन को यहां 2 मिनट के लिए रोक देता है.
चूंकि इन स्टेशनों पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं होता, इसलिए आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि इन स्टेशनों पर टिकट कौन बेचता है. टिकट बेचने के लिए रेलवे विभाग संविदा और कमीशन के आधार पर स्थानीय व्यक्ति की नियुक्ति करता है.
यदि रेलवे विभाग टिकटों की बिक्री की संख्या अधिक पाता है, तो वह इन स्टेशनों पर टिकट काउंटर, प्लेटफॉर्म और फुट ओवर ब्रिज जैसी कुछ सुविधाएं जोड़ता है.
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