यदि हम विष कन्याओं की बात करें तो मान्यताओं के आधार पर वे खुद को जहरीला बनाने के लिए नाग-नागिनों का विष लेती थीं लेकिन आरडी.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक इंसान का शरीर तो इससे कहीं ज्यादा सक्षम है. यानी कि उसे विष बाहर से लेने की जरूरत नहीं है, बल्कि वो तो खुद ही अपने शरीर में जहर बना सकता है.
जापान के वैज्ञानिकों की रिसर्च में सामने आया है कि मनुष्य के अंदर भी वो लार ग्रंथियां होती हैं जो जहर बना सकती हैं. ये वैसी ही लार ग्रंथियां हैं जो दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में होती हैं. लेकिन इंसानों में फ्लैक्सिबल जीन्स की वजह से बिना जहर वाले जीवों जैसी लार ग्रंथियां ही विकसित हुई हैं.
यदि इंसान की लार-ग्रंथियां (salivary glands) जहरीले जानवरों की तरह विकसित हो जाएं तो वह भी आसानी से जहर बना सकता है.
हालांकि इंसान के शरीर में कई तरह के विषाक्त पदार्थ बनते हैं और वह उन्हें कई तरीकों से रिलीज भी कर देता है, लेकिन विष की जरूरत न होने से उसकी लार-ग्रंथियां बिना जहर वाले जीवों की तरह ढल गईं.
इंसान और जहरीले जीवों की लार-ग्रंथियों में अंतर केवल एक खास प्रोटीन के म्यूटेशन का होता है. इंसान के शरीर में उसकी लार से निकलने वाला प्रोटीन कैलीक्रेन्स (Kallikreins) म्यूटेट नहीं होता है और जहरीले जीवों में यह म्यूटेट हो जाता है. शरीर में घातक जहर बनाने के लिए इस प्रोटीन का म्यूटेट होना जरूरी है क्योंकि यही जहर बनाने का पूरा सिस्टम तैयार करता है.
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