China ने माना हिंद महासागर में India के सामने नहीं टिक सकता, भारतीय प्रभुत्व को स्वीकार किया
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China ने माना हिंद महासागर में India के सामने नहीं टिक सकता, भारतीय प्रभुत्व को स्वीकार किया

जमीन से लेकर समुद्र तक चीन से मुकाबले के लिए मोदी सरकार ने व्यापक स्तर पर रणनीति तैयार की है. भारत एक जैसी सोच रखने वाले देशों को साथ ला रहा है, ताकि चीन की विस्तारवादी आदतों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके और इसमें काफी हद तक सफल भी रहा है.

फाइल फोटो

बीजिंग: भारत (India) से बेवजह विवाद मोल लेकर चीन (China) अलग-थलग पड़ गया है. अमेरिका (America) सहित दुनिया के कई देशों ने उससे दूरी बना ली है. चीन की कम्युनिस्ट सरकार को भी अब अहसास हो गया है कि भारत के सामने टिकना उसके लिए मुश्किल है. ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में छपे लेख के माध्यम से एक तरह से चीन ने अपनी हार मानते हुए हिंद महासागर में भारत के प्रभुत्व को स्वीकार किया है. लेख में कहा गया है कि हिंद महासागर (Indian Ocean) में भारत को अद्वितीय भौगोलिक लाभ प्राप्त हैं. सीमा विवाद के बीच चीन का भारतीय प्रभुत्व को स्वीकार करना दर्शाता है कि बीजिंग के खिलाफ मोदी सरकार की रणनीति कारगर साबित हुई है.

  1. ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में स्वीकारी भारत की ताकत
  2. दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहा है सीमा विवाद
  3. भारत की कोशिश के चलते अलग -थलग पड़ गया है चीन

‘भारत ने उठाया बीड़ा’ 

चीन (China) की सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में 17 दिसंबर को 'वैश्विक महत्वाकांक्षा के लिए बहुपक्षीय तंत्र के प्रति भारत का बदलता रवैया' शीर्षक के साथ एक लेख छपा है. इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक हू शीशेंग (Hu Shisheng) द्वारा लिखे इस लेख में कहा गया है कि भारत ने हिंद महासागर में बहुपक्षीय सहयोग तंत्र की योजना बनाने का बीड़ा उठाया है. इस क्षेत्र में भारत को अद्वितीय भौगोलिक लाभ प्राप्त हैं.

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एक जैसी सोच वालों को साथ ला रहा India
इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) के तहत भारत एक जैसी सोच रखने वाले देशों को साथ ला रहा है, ताकि चीन की विस्तारवादी आदतों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके. पिछले कुछ सालों में भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में मानवीय सहायता और आपदा राहत से लेकर कोरोना महामारी के दौरान भोजन और चिकित्सा की आपूर्ति बढ़ाई गई है. इस दौरान भारत ने मालदीप, मॉरीशस, मेडागास्कर, कोमोरोस और सेशेल्स की मदद की है. भारत चाहता है कि चीन के मुकाबले के लिए सभी देश एकजुट हो जाएं और उसी के अनुरूप वह आगे बढ़ रहा है.

कई मोर्चों पर घेरने की तैयारी

समुद्र में चीन से मुकाबले के लिए मोदी सरकार ने व्यापक स्तर पर रणनीति तैयार की है. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) का प्रस्ताव रखा था, जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया, जापान और आसियान समूह के देशों ने समुद्री सुरक्षा से लेकर परिवहन तक के मुद्दों पर भारत के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है. इसके अलावा, भी कई मोर्चों पर बीजिंग को सबक सिखाने के लिए काम किया जा रहा है. 

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11 देशों को उपलब्ध कराई मदद 
गुरुग्राम स्थित भारत का Information Fusion Centre हिंद महासागर में जहाजों की आवाजाही पर नजर रखता है. यह केंद्र क्षेत्र की वास्तविक समय की जानकारी के लिए नोडल केंद्र के रूप में उभर रहा है. अमेरिका और फ्रांस ने अपने संपर्क अधिकारियों को यहां पहले ही भेज दिया है. इसके अलावा, कई अन्य देश भी इसमें शामिल हो रहे हैं. अपने रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत भारत ने 11 देशों को मोबाइल ट्रेनिंग टीम दी हैं, जिनमें वियतनाम, दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार भी शामिल हैं.

क्या है IORA?

इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) कई देशों का एक बहुपक्षीय संगठन है. 1997 में गठित किए गए इस संगठन में वर्तमान में 22 देश इसके सदस्य हैं और 10 देश संवाद भागीदार के रूप में इसमें शामिल हैं. भारत आईओआरए के संस्थापक सदस्यों में से एक है. आईओआरए एक सुरक्षित, विश्वसनीय और स्थिर क्षेत्र की स्थापना के लिए संवाद आधारित दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिक मंचों में से एक है, जो सभी को साझा समृद्धि प्रदान करता है. 

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