Pakistan Economic Crisis: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की सारी उम्मीदें अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) पर टिकी है. लेकिन इस्लामाबाद और आईएएमएफ के बीच एक मुद्दे पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. यह मुद्दा है बिजली की कीमतों पर लगने वाले टैक्स का.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल आईएमएफ चाहता है कि बिजली उपभोक्ताओं से 284 अरब रुपये अधिक वसूल करने के लिए 3.82 रुपये प्रति यूनिट डेब्ट सरचार्ज वसूला जाए. वहीं, पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इस सरचार्ज को सिर्फ आठ महीनों के लिए ही लागू किया जा सकता है क्योंकि इससे बिजली का दाम बहुत अधिक हो जाएगा.


आईएमएफ ने कहा है कि जब तक बिजली कंपनियों के 800 अरब रुपये के सर्कुलर ऋण का निपटारा नहीं हो सकता, तब तक बिजली के बिलों में लेवी को स्थायी स्थिरता के रूप में रखा जाए.


पाकिस्तान की दोहरा रवैया
इस मुद्दे पर पाकिस्तान आईएमएफ के सामने स्पष्ट बात नहीं रख रहा है. पहले उसने आईएमएफ  डेब्ट सरचार्ज लंबे समय तक जारी रखने की सूचना दी थी. लेकिन, बुधवार को सरकार ने इसे सिर्फ मार्च से अक्टूबर 2023 के लिए ही लागू किया.


सरकारी विभागों के बीच आपसी समन्वय की कमी
इस घटनाक्रम से एक बार फिर पाकिस्तान में सरकारी विभागों के बीच आपसी समन्वय की कमी साफ तौर पर नजर आई. माना जा रहा है कि विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी की वजह से ही पाकिस्तान अब तक कर्मचारी स्तरीय समझौते तक पहुंचने में फेल रहा है.


डार और पोर्टर की बैठक
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार और आईएमएफ मिशन के प्रमुख नाथन पोर्टर के बीच एक बैठक इस नोट के साथ समाप्त हुई कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझाने के लिए फिर से मिलेंगे.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद  Zeenews.com/Hindi - सबसे पहले, सबसे आगे