Nawaz Sharif PM Modi: चार साल के स्वयंभू आत्म निर्वासन के बाद आखिरकार नवाज शरीफ पाकिस्तान लौट चुके हैं. उनकी वापसी के मौके को उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने एक मेगा इवेंट की तरह पेश किया. लाहौर में एक रैली के दौरान नवाज के तेवर बदले हुए नजर आए. इस बार भले ही अभीतक उनके सियायी फ्यूचर का कुछ अता पता नहीं हैं फिर भी उन्होंने भारत से अच्छे संबंधों की वकालत की है. हालांकि इस दौरान भी वो कश्मीर राग अलापना नहीं भूले. मियां नवाज शरीफ पंजाब के शेर के नाम से पाकिस्तान में मशहूर हैं. वे तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. हालांकि, तीनों बार वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. 


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नवाज शरीफ की वापसी पर अपने-अपने दावे और अटकलों का दौर


पाकिस्तानी मीडिया में इस इवेंट को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है. लोग रैली के सैंपल साइज और टाइमिंग पर बहस कर रहे हैं. ऐसी ही एक बहस के दौरान सवाल किया गया कि क्या नवाज की रैली, पाकिस्तान की अब तक की सबसे बड़ी रैली है? इस सवाल के जवाब में एक एक्सपर्ट ने कहा कि सभा के आकार के बारे में तो बहस नहीं हो सकती लेकिन शरीफ की वापसी कहीं न कहीं पाकिस्तान के सर्वशक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के रहमोकरम की वजह से हो रही है. 


लंबे समय से द्विपक्षीय बातचीत नहीं


शरीफ ने अपने भाषण में यूं तो अपना विजन बताने की कोशिश करते हुए कई बातें कहीं. जिनके लोग अपने-अपने हिसाब से मायने निकाल रहे हैं.  आपको बताते चलें कि लंबे समय से भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई है. दोनों देशों के बीच व्यापार भी अब पहले जैसा नहीं है. दरअसल भारत अपने रुख पर कायम है कि जबतक पाकिस्तान पूरी तरह से आतंकवाद को नहीं छोड़ेगा उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी.


वजीर-ए-आजम बनें तो क्या करेंगे दोस्ती और बातचीत की पहल?


ऐसे में नवाज शरीफ की वेलकम रैली के भाषण का विश्लेषण करें तो शरीफ ने ये भी कहा, 'हम पाकिस्तान को एशियाई टाइगर बना रहे थे. हम पाकिस्तान को G-20 समूह में शामिल कराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि संविधान को मजबूत करने और देश को बार-बार प्रभावित करने वाली बीमारी को दूर करने के लिए सभी को एक साथ आने की जरूरत है. हमें नई शुरुआत करने की आवश्यकता है.'


प्रधानमंत्री मोदी आज दुनिया के सबसे ताकतवर वैश्विक नेता


जाहिर है कि नवाज शरीफ दुनिया में बढ़े भारत के ताकत और रुतबे के साथ पीएम मोदी की पॉपुलैरिटी को अच्छी तरह समझ रहे हैं. ऐसे में शायद उन्हें लगता होगा कि भारत से दुश्मनी हमेशा महंगी ही पड़ी है. ऐसे में वो पीएम मोदी से पहले जैसी दोस्ती करके अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी इमेज सुधारने के साथ मुल्क को तरक्की की राह में ले जाने का विजन दुनिया को दिखा सकते हैं. 


नवाज शरीफ को ऐसा करने के दो फायदें होंगे. पहला तो ये कि फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की जिस टेढ़ी निगाह की वजह से उनके मुल्क के ग्रे या ब्लैक लिस्ट में जाने का खतरा बढ़ जाता है वो कुछ कम होगा. वहीं दूसरी ओर उसे देश की तरक्की और खुशहाली के नाम पर आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं से कुछ और कर्ज या छूट मिल जाएगी.


भारत से अच्छे संबंधो की दुहाई


नवाज ने ये भी कहा कि वो पड़ोसी देश के साथ अच्छे संबंध स्थापित करते हुए कश्मीर मुद्दे को शालीनता से हल करना चाहते हैं. इसी भाषण में नवाज ने कहा, 'हम एक स्वतंत्र और व्यापक विदेश नीति चाहते हैं. हम दुनिया के साथ अनुग्रह और समानता का व्यवहार करना चाहते हैं. हम पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करके पाकिस्तान को एक आर्थिक शक्ति बनाना चाहते हैं. दूसरों से लड़कर या संघर्ष करके पाकिस्तान का विकास नहीं किया जा सकता. मैं बदले में नहीं विकास में विश्वास रखता हूं. अगर पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) से अलग नहीं हुआ होता तो भारत से होकर गुजरने वाला एक इकोनॉमिक कॉरिडोर होता. हम पाकिस्तान के विकास के लिए पड़ोसियों और दुनिया के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहते हैं.'


पाकिस्तान के बदले बुरे आर्थिक हालातों में वहां के हुक्मरानों पर जनता को हर हाल में राहत देने यानी नतीजे डिलीवर करने का दबाव है. ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि नवाज शरीफ ने कहा है कि वो भारत के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना चाहते हैं.


पीएम मोदी ने बढ़ाया था हाथ


प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में अपने शपथ ग्रहण के बाद पड़ोसियों से रिश्ते सुधारने की दिशा में हाथ बढ़ाया. पाकिस्तान को छोड़कर बाकी देश दिल से जुड़े लेकिन पाकिस्तान की फितरत नहीं बदली. दिसंबर 2015 में पीएम मोदी अपने एक विदेश दौरे में रूस के बाद अफगानिस्तान और अचानक पाकिस्तान चले गए थे. उन्होंने लाहौर जाकर तत्कालीन पाकिस्तानी समकक्ष को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उनके परिवार से भी मुलाकात की थी. 


तीन दिवसीय दौरे के अंतिम चरण में उनका विमान जब अचानक पाकिस्तान में उतरा था तब ये उस वक्त की सबसे बड़ी खबर बन गई थी. मोदी की 150 मिनट की पाकिस्तान यात्रा करीब 11 साल में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पाक यात्रा थी. पाकिस्तान में उन्होंने नवाज शरीफ के साथ बातचीत की जिस दौरान दोनों नेताओं ने दोनों देशों के लोगों के व्यापक हितों के लिए शांति की खातिर रास्ते खोलने का फैसला किया. लेकिन बाद में सीमा पार से आतंकवाद बंद नहीं हुआ, खासकर पुलवामा अटैक के बाद दोनों देशों के रिश्ते सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं. 


भारत की पीठ में भोंका था छुरा


नवाज आज अपने बुरे वक्त में भारत से अच्‍छे रिश्‍तों की बात कर रहे हैं, उन्हीं के कार्यकाल में भारत को सबसे बड़ा धोखा मिला था. 1999 में कारगिल की जंग से पहले भारत ने लाहौर तक बस चलाई गई थी. भारत ने दोस्ती का हाथ तब भी बढ़ाया तो पाकिस्तान ने भारत की पीठ में छुरा भोका था.