IAF in Saudi Arabia: सऊदी अरब में लैंड हुए इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू विमान, तो हलक में क्यों अटकी PAK की जान!
India Saudi Arabia Ties: ऐतिहासिक रूप से सऊदी अरब पाकिस्तान (Pakistan) के करीब रहा है लेकिन बदलती वैश्विक परिस्थिति में भारत के साथ उसकी नजदीकी बढ़ी है. भारत और सऊदी अरब के बीच मजबूत हुए रिश्तों की अनोखी मिसाल तब देखने को मिली जब भारतीय वायुसेना (IAF) के विमानों ने सऊदी धरती पर लैंड किया.
India Saudi Arabia defence ties: सैन्य क्षेत्र में पाकिस्तान (PAK) का करीबी सहयोगी देश सऊदी अरब बीते कुछ सालों से उससे दूरी बना रहा है. वहीं, भारत के साथ रक्षा क्षेत्र को लेकर सऊदी अरब के संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं. पिछले महीने सऊदी अरब की रॉयल लैंड फोर्स का एक डेलिगेशन भारत दौरे पर था. उस दौरान इंडियन आर्मी ने सऊदी अधिकारियों को भारतीय सेना की ट्रेनिंग प्रॉसेस और बुनियादी ढांचे के बारे में जानकारी दी थी. ये दौरा इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि सऊदी अरब ने भारत के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ाया है. इसकी ताजा मिसाल तब दिखी जब भारतीय वायुसेना के 8 विमानों ने पहली बार सऊदी अरब की धरती पर लैंड किया.
इंडियन एयरफोर्स का सऊदी में फ्रेंडली स्टॉपओवर
भारतीय वायुसेना के जिन लड़ाकू विमानों ने सऊदी अरब के एयरफोर्स बेस पर लैंड किया, उनमें 5 मिराज 2000 लड़ाकू विमान, दो सी 17 ट्रांसपोर्ट विमान और एक IL 78 टैंकर शामिल था. इन विमानों में 145 एयर वॉरियर्स मौजूद थे. ये विमान पूरी रात सऊदी एयर बेस पर रुके और सुबह रवाना हुए. इस दौरान भारतीय राजदूत डॉ सुहेल अजाज़ खान, डिफेंस अटैशे कर्नल जीएस ग्रेवाल भी वहां मौजूद रहे. आपको बताते चलें कि ये एक फ्रेंडली स्टॉपओवर था और इस दौरान इन लड़ाकू विमानों में फ्यूल भरा गया और उनकी मेंटीनेंस की जांच हुई. जबकि इससे पहले सऊदी अरब के किसी एयर बेस पर भारतीय वायु सेना का कोई विमान कभी नहीं उतरा था. भारतीय वायु सेना की एक यूनिट ब्रिटेन में होने वाले कोबरा वॉरियर्स के अभ्यास सत्र में भाग लेने रवाना हुई थी. उसी दौरान ये ऐतिहासक नजारा देखने को मिला.
पाकिस्तान की हलक में अटकी जान!
गौरतलब है कि भारत और सऊदी अरब ने फरवरी 2022 में मिलिट्री एक्सचेंज और ट्रेनिंग कोर्सेस के माध्यम से अपने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों का विस्तार करने का फैसला हुआ था. ये समझौता तत्कालीन रॉयल सऊदी लैंड फोर्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल फहद बिन अब्दुल्ला मोहम्मद अल-मुतायर और भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के बीच हुआ था. जबकि इससे पहले सऊदी अरब सुरक्षा मामलों में पाकिस्तान को एक भाई और सहयोगी के रूप में देखता था. ऐसे में पाकिस्तान को ये डर सता रहा है कि कहीं सऊदी अरब अपनी रक्षा जरूरतों के लिए उसका साथ छोड़कर भारत का हाथ न थाम ले क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो वो उसे सऊदी से मिलने वाली खैरात बंद हो सकती है.
1980 के दशक में, पाकिस्तान ने सऊदी अरब की रक्षा के लिए 15,000 सैनिक भेजे थे. इससे पहले रॉयल सऊदी सशस्त्र बलों के जवान पाकिस्तान में ट्रेनिंग ले चुके है. यहां तक कि रॉयल सऊदी लैंड फोर्स की टुकड़ी पाकिस्तान दिवस परेड में भी कई बार शामिल हो चुकी है. पर अब हालात पूरी तरह से बदल रहे हैं और यही चिंता पाकिस्तान को खाए जा रही है.
सऊदी अरब के बयान से टेंशन में पाकिस्तान
हाल ही में सऊदी अरब के राजदूत सालेह ईद अल हुसैनी ने भारत से मजबूत रिश्ते को लेकर प्रतिबद्धता जताई है. सऊदी अरब किंगडम के स्थापना दिवस पर उन्होंने कहा कि वो भारत और सऊदी अरब के बीच इस रिश्ते को उच्चतम स्तर पर लाना चाहते हैं.
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