Pakistan-China Friendship: मौजूदा समय में पाकिस्तान सबसे खराब दौर से गुजर रहा है और यह आर्थिक तौर पर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. तंगहाली से गुजर रहे पाकिस्तान में हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है. लेकिन, पाकिस्तान की ये हालत क्यों हुई, जबकि चीन ने उसकी मदद करने के लिए खान प्लान बनाया था, जिससे उसको सिंगापुर की तरह डेवलप किया जा सकता था. चीन ने चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) लॉन्‍च किया था और कहा था कि इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान की तकदीर बदल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.


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जिनपिंग ने पाक को बताया था छोटे भाई का घर


पाकिस्तान हमेशा से चीन को अपना बेहद करीबी और दोस्त बताता आया है और चीनी राष्ट्रपति ने भी पाकिस्तान को छोटे भाई का घर बताया था. साल 2015 में जब शी जिनपिंग पाकिस्तान पहुंचे थे, तब उन्होंने कहा कि यहां आपने पर लगता है कि छोटे भाई के घर आया हूं. लेकिन, जब पाकिस्तान की हालत बेहद खराब होने लगी है तो हर मुश्किल में साथ देने वाला चीन भी पीछे हटने लगा है और मुसीबत के समय में अपने दोस्त की मदद नहीं कर रहा है.


पाकिस्तान को चीन की तरह डेवलप करने का था प्लान


चीन ने पाकिस्तान को भी सिंगापुर की तरह डेवलप करने का प्लान बनाया था और इसी के तहत चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) लॉन्‍च किया था. दरअसल, चीन ने साल 1970 में सिंगापुर के साथ अनौपचारिक रिश्ते की शुरुआत की थी और इसके साथ ही दोनों देशों के बीच व्यापार व निवेश बढ़ता गया. इस वजह से सिंगापुर की सूरत बदल गई और पाकिस्तान के लोग भी उम्मीद लगा रहे थे कि उनकी भी किस्मत बदल जाएगी.


सिंगापुर की तरह क्यों डेवलप नहीं हुआ पाकिस्तान?


सिंगापुर की तरह पाकिस्तान की सूरत ना बदलने के पीछे कई वजह हैं, क्योंकि दोनों देशों में काफी अंतर है. दरअसल, सिंगापुर के मुकाबले पाकिस्तान का क्षेत्रफल 1093 गुना ज्यादा है, जबकि आबादी 42 गुना ज्यादा है. विदेशी निवेश की बात करें तो पिछले साल सिंगापुर का विदेश निवेश 92 अरब डॉलर था, जबकि पाकिस्तान को सिर्फ 2 अरब डॉलर ही विदेशी निवेश मिला. इसके अलावा सिंगापुर कई अमेरिकी और चीनी कंपनियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, जबकि ये कंपनियां पाकिस्तान जाने से बचती हैं.


इस एक गलती की वजह से पाकिस्तान नहीं बन पाया सिंगापुर!


सिंगापुर पूरी तरह से शांत देश है, जबकि पाकिस्तान में आतंकवाद सबसे बड़ी समस्या है और इस वजह कई कंपनियां यहां निवेश से बचती हैं. सिंगापुर का कानून काफी सख्त है और इसका पालन करना अनिवार्य होता है. वहीं, अगर पाकिस्तान की बात करें तो यहां का कानून काफी कमजोर है और उसका पालन भी ठीक से नहीं होता है.


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