पाकिस्तान को इन घटनाक्रमों का जवाब देना होगा और वह आत्मसंतुष्ट नहीं रह सकता. पैनलिस्टों ने बताया कि इन मुद्दों को लेकर सरकार चिंतित है और लगातार बैठकों के माध्यम से रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है.
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के 23 साल हो पूरे हो गए. पाकिस्तान ने भारत के परमाणु परीक्षण के जवाब में ये धमाके किये थे. और आज भारत से ज्यादा परमाणु हथियार पाकिस्तान के पास हैं. भले ही परमाणु हथियारों के मामले में पाकिस्तान भारत के साथ होड़ कर रहा है, लेकिन वो अंतरिक्ष के मामले में भारत से कोसों से पीछे है और इसकी वजह से पाकिस्तान के कर्ता धर्ता अक्सर खीझते रहते हैं.
भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया की प्रमुख ताकतों में शुमार है. जिसे लेकर पाकिस्तान के अंदर हमेशा से असुरक्षा की भावना रही है. अब जबकि पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण के 23 साल पूरे हुए तो पाकिस्तान के शीर्ष वैज्ञानिकों ने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जहां उनकी चिंता खुलकर सामने आ गई.
पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया संस्थान डॉन के मुताबिक, ‘Pakistan’s Quest for Peace and Strategic Stability in South Asia’ नाम से एक परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें दो पैनलिस्ट, रणनीतिक योजना प्रभाग के सलाहकार जमीर अकरम और विदेश कार्यालय में महानिदेशक शस्त्र नियंत्रण और निरस्त्रीकरण कामरान अख्तर ने हिस्सा लिया. इस परिचर्चा में भारत को लेकर पाकिस्तान की चुनौतियों पर चर्चा हुई.
इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत (India) द्वारा अंतरिक्ष (Space) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के सैन्यीकरण को पाकिस्तान (Pakistan) की सुरक्षा के लिए एक ‘उभरता हुआ खतरा’ करार दिया. इस परिचर्चा के दौरान पैनलिस्टों ने क्षेत्र की ‘कमजोर’ रणनीतिक स्थिरता और भारत की आक्रामक मुद्रा के बारे में अपनी चिंताओं को दोहराया.
परिचर्चा में पैनलिस्टों ने पाकिस्तान के सामने विशेष रूप से उन उभरती चुनौतियों पर जोर दिया, जिन्हें अब और नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. राजदूत अकरम ने उल्लेख किया कि भारत अमेरिकी समर्थन के साथ अपने शस्त्रागार में नई युद्ध तकनीकों – साइबर युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और घातक स्वायत्त हथियारों को एकीकृत करने पर काम कर रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को इन घटनाक्रमों का जवाब देना होगा और वह आत्मसंतुष्ट नहीं रह सकता. पैनलिस्टों ने बताया कि इन मुद्दों को लेकर सरकार चिंतित है और लगातार बैठकों के माध्यम से रणनीतियों पर चर्चा की जा रही है.
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