ZEE NEWS के पास भुगतान की वो रसीद है, जो उस रकम के बारे में बता रही है जिसे ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप को पाकिस्तान सरकार ने अदा किया.
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) कश्मीर का राग अलापने और दुनियाभर में घाटी का मुद्दा बार-बार उठाने के लिए हर वक्त भारत के खिलाफ साजिश रचता रहता है. इसी कड़ी में एक बड़ा खुलासा हुआ है कि कैसे पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में ब्रिटिश सांसदों के एक दल ‘ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप’ को लाने के लिए 30 लाख रुपये खर्च किए थे.
बता दें कि इसी साल फरवरी में ब्रिटिश पार्लियामेंट्री ग्रुप लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम्स की अगुवाई में पीओके गया था. 17 फरवरी को डेबी जब अपने पीआईओ पार्लियामेंट्री सहायक हरप्रीत उप्पल के साथ भारत आई थीं तब उन्हें भारत से दुबई निर्वासित कर दिया गया था. कहा जाता है कि भारत ने उनके एक्सपायर्ड ई वीजा के चलते वीजा देने से मना कर दिया था. उन्हें बता दिया गया था कि आपका वीजा मान्य नहीं है इसीलिए आपको देश में घुसने की इजाजत नहीं है.
खबरों के मुताबिक अगले ही दिन डेबी अब्राहम्स पाकिस्तान चली गईं थीं और पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से मिलीं, जहां उन्हें इसी साल फरवरी में काफी पैसों की मदद मिली.
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ZEE NEWS के पास भुगतान की वो रसीद है, जो उस रकम के बारे में बता रही है जिसे ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप को पाकिस्तान सरकार ने अदा किया. इस रसीद से खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान सरकार ने फरवरी 18 से 22 फरवरी के दौरान पीओके के दौरे के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री कश्मीर ग्रुप को 29.7 लाख और 31.2 लाख के बीच पाकिस्तानी रुपयों का भुगतान किया था.
इस रकम के भुगतान का उद्देश्य इस रसीद के मुताबिक बातचीत के जरिए कश्मीरियों के खुद निर्णय लेने के अधिकार का समर्थन देना, ब्रिटिश सांसदों का समर्थन लेना, कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करना और वहां के लोगों के लिए न्याय की मांग करना था.
डेबी अब्राहम्स को वीजा के लिए भारत सरकार ने जब वीजा देने से इनकार कर दिया तो डेबी ने सवाल उठाए कि वो कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने को लेकर भारत सरकार की बड़ी आलोचक रही हैं. डेबी ने ट्वीट किया था, ‘वीजा देने के बाद भारत सरकार ने मेरा वीजा रद्द क्यों कर दिया? उन्होंने मुझे वीजा ऑन एराइवल क्यों नहीं लेने दिया? ये इसलिए हुआ क्योंकि मैं कश्मीर में मानवाधिकारों के मुद्दे को लेकर भारत सरकार की आलोचक रही हूं.’