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DNA with Sudhir Chaudhary: पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई और आर्थिक संकट ने वहां की सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. इस संकट से निपटने के लिए पाकिस्तान की सरकार कटिंग चाय का एक नया फॉर्मुला लेकर आई है, जिसमें पाकिस्तान की सरकार ने अपने देश के नागरिकों से कम चाय पीने की अपील की है. सबसे पहले आप पाकिस्तान के मंत्री अहसन इकबाल का ये बयान सुनिए, जिसमें वो ये बता रहे हैं कि पाकिस्तान के लोग आज जो चाय पी रहे हैं, वो चाय भी पाकिस्तान को उधार में खरीदनी पड़ी रही है. अगर पाकिस्तान अभी नहीं सम्भला तो उसकी आर्थिक स्थिति भी श्रीलंका जैसी हो जाएगी. चाय ने पाकिस्तान की सरकार का सिरदर्द काफी बढ़ा दिया है. इसकी कई सारी वजह हैं. इस समय पाकिस्तान दुनिया में सबसे ज़्यादा चाय का आयात करता है. वर्ष 2020 में पाकिस्तान ने भारतीय रुपयों में लगभग पांच हजार करोड़ रुपये की चाय दूसरे देशों से खरीदी थी.
पाकिस्तान जिन देशों से चाय खरीदता है, उनमें पहले स्थान पर केन्या है, इसके बाद वियतनाम, रवांडा, Uganda और फिर चीन का नम्बर आता है. पाकिस्तान में हर सेकेंड तीन हजार कप चाय पी जाती है. यानी इस हिसाब से पाकिस्तान के लोग हर मिनट एक लाख 80 हज़ार कप चाय पी जाते हैं. हर एक घंटे में वहां एक करोड़ 8 लाख कप चाय पी जाती है. लेकिन समस्या ये है कि, पाकिस्तान चाय के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है. यानी पाकिस्तान में चाय का ज्यादा उत्पादन नहीं होता. उसे ये चाय दूसरे देशों से खरीदनी पड़ती है. अब 22 करोड़ों लोगों के लिए चाय खरीदनी है तो इसके लिए पैसा भी चाहिए. समस्या ये है कि पाकिस्तान के पास उसके विदेशी मुद्रा भंडार में ज्यादा पैसा नहीं बचा है. विदेशी मुद्रा भंडार को Foreign Reserve भी कहते हैं. इस भंडार में विदेशी मुद्रा जमा होती है, जिससे कोई भी देश.. दूसरे देशों से अपनी जरूरत का सामान आयात करता है. पाकिस्तान के सामने मुश्किल ये है कि, पिछले तीन महीने में उसका विदेशी मुद्रा भंडार काफी सिकुड़ गया है.
इस साल फरवरी के महीने में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार, भारतीय रुपयों में एक लाख 27 हजार करोड़ रुपये था. जो मई के महीने में घट कर 78 हजार करोड़ रुपये रह गया है. अगर आपको ये सब जटिल लग रहा है तो आपको बहुत सरल भाषा में समझाते हैं. पाकिस्तान के पास इस समय 78 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बची है. अब विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल तब होता है, जब कोई देश, दूसरे देशों से अपनी जरूरत का सामान खरीदता है. जैसे.. पाकिस्तान इस समय कच्चा तेल, चाय और नैचुलर Gases का सबसे ज्यादा आयात करता है. हर साल उसका आयात का बिल भारतीय रुपयों में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये होता है. यानी पाकिस्तान का आयात का खर्चा है साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये. उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार में बचे हैं सिर्फ 78 हजार करोड़ रुपये. यही वजह है कि पाकिस्तान की सरकार वहां के लोगों को कम चाय पीने के लिए कह रही हैं. क्योंकि इससे सरकार चाय के आयात पर होने वाला खर्च कम कर सकेगी. हालांकि, चाय पर अपने खर्च को घटा कर भी पाकिस्तान इस संकट से आसानी से बाहर नहीं निकल सकता है.
इस समय पाकिस्तान की करेंसी.. Dollar के मुकाबले लगातार कमजोर हो रही है. पिछले साल पाकिस्तान के 157 रुपये.. एक Dollar के बराबर थे. लेकिन आज एक Dollar.. पाकिस्तान के 207 रुपये के बराबर है. अब जब किसी देश की करेंसी, Dollar के मुकाबले कमजोर होती है तो इससे आयात का बिल और बढ़ जाता है. यानी जो सामान दूसरे देशों से खरीदा जाता है, उस पर पहले से ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. जिसकी वजह से पाकिस्तान की सरकार को डर है कि उसकी स्थिति भी वैसी हो सकती है, जैसी अभी श्रीलंका की है. पाकिस्तान में इस समय महंगाई दर ढाई साल के बाद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है. वहां पेट्रोल और डीजल भी काफी महंगा हो गया. पाकिस्तान में पिछले 20 दिनों में एक लीटर पेट्रोल की कीमतें 60 रुपये तक बढ़ गई हैं. ये आंकड़े हम आपको पाकिस्तान की करेंसी में बता रहे हैं.
25 मई को वहां एक लीटर पेट्रोल 149 रुपये का था. जो अब 210 रुपये का हो चुका है. हालांकि पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के पीछे International Monetary Fund यानी IMF नाम की संस्था है. पाकिस्तान ने IMF से 62 हजार 400 करोड़ रुपये का लोन मांगा था, जिसे IMF ने सैद्धांतिक मंज़ूरी भी दे दी है. लेकिन IMF ने इस लोन को देने से पहले कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिनमें से एक शर्त ये है कि पाकिस्तान की सरकार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करनी होगी. इस वजह से वहां सरकार तेल के दाम बढ़ा रही है. जबकि भारत के साथ ऐसा नहीं है. इसलिए आप खुद को भाग्यशाली मान सकते हैं.
हालांकि भारत के लिए चिंता की बात ये है कि श्रीलंका और नेपाल की तरह चीन पाकिस्तान की भी कमजोर आर्थिक स्थिति का फायदा उठाना चाहता है. उसने पाकिस्तान की सरकार को भारतीय रुपयों में 23 हजार 400 करोड़ रुपये का लोन देने का ऐलान किया है. यानी आप देखेंगे तो चीन ने पहले श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया. इसके बाद उसने नेपाल के साथ भी ऐसा ही किया. अब वो पाकिस्तान को भी लोन की बेड़ियों में कैद कर देना चाहता है और ये भारत के लिए अच्छी बात नहीं है. इस समय भारत के चार पड़ोसी देशों में आर्थिक संकट बना हुआ है. श्रीलंका आर्थिक रूप से पूरी तरह बर्बाद हो चुका है. नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक गिरावट आई है. पाकिस्तान के पास आयात करने के लिए दो महीने का ही पैसा बचा है. अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद से ही वहां गरीबी और भूखमरी बढ़ती जा रही है. चीन.. भारत के इन पड़ोसी देशों की मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहा है.
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