श्याम बेनेगल, जिनकी तुलना सत्यजीत रे से की जाती थी. वह अब इस दुनिया को छोड़ गए. 90 साल की उम्र में 23 दिसंबर 2024 को उन्होंने अंतिम सांसें ली. चलिए श्याम बेनेगल की उस फिल्म से रूबरू करवाते हैं जिसे शाहरुख खान से लेकर आमिर खान ने रिजेक्ट कर दिया था.
एक था राजा, एक थी रानी, दोनों मर गए खत्म कहानी... ऐसे किस्से-कहानियां तो आपने खूब सुने होंगे. लेकिन एक कहानी सच्ची सी दिल को छू लेने वाली भी है. जहां राजा और एक्ट्रेस की प्रेम कहानी की दास्तां है. वो कहानी, जिसे लेकर कई मत है. मगर एक पक्ष है, जिसे रानी के बेटे ने खुद सुनाया. फिर इसे पर्दे पर लेकर आए आर्ट सिनेमा के दिग्गज डायरेक्टर श्याम बेनेगल. फिल्म का नाम है 'जुबैदा'. जिसमें एक्ट्रेस जुबैदा बेगम और जोधपुर के राजा हनवंत सिंह की कहानी को दिखाया गया था.
जुबैदा के बेटे खालिद मोहम्मद ने ही मां की कहानी को लिखा था. उनके हिस्से की कहानी को श्याम बेनेगल ने फिल्म में पिरोया था. जिसे लेकर वह पहले आमिर खान, शाहरुख खान और अनिल कपूर के पास गए थे. लेकिन तीनों ने ही श्याम बेनेगल की फिल्म को रिजेक्ट कर दिया था. फिर साल 2001 में उन्होंने रेखा, करिश्मा कपूर और मनोज बाजपेयी, अमरीश पुरी, फरीदा जलाल व सुरेख सिखरी को लेकर इस कहानी को पूरा किया था.
श्याम बेनेगल ने मम्मो और सरदारी बेगम जैसी फिल्म भी बनाई थी और इसी की तीसरी कड़ी को उन्होंने 'जुबैदा' फिल्म से जोड़ा. मगर इस बार कहानी थी सच्ची. जहां जुबैदा बेगम की दर्दभरी कहानी और जोधपुर के राजा हनवंत सिंह संग रिश्ते को दिखाया गया था. फिल्म के लिए करिश्मा कपूर को फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस (क्रिटिक्स) अवॉर्ड मिला था तो फिल्म को नेशनल अवॉर्ड. मेहंदी है रचने वाली जैसा सुपरहिट गाना भी इसी फिल्म में था.
फिल्ममेकर सुलेमान सेठ की इकलौती बेटी थीं जुबैदा बेगम. जिन्होंने बचपन से ही पिता की मर्जी के कहने पर फैसले लिए. जुबैदा तो एक्ट्रेस बनना चाहती थीं मगर पिता को ये भी मंजूर नहीं था. ऐसे में वह सिर्फ एक ही फिल्म में काम कर पाईं. फिल्म से नाराज होकर पिता ने जुबैदा की शादी करवा दी. जैसे तैसे वह अपनी शादीशुदा जिंदगी और बेटे के सहारे जिंदगी काट ही रही थी कि एक दिन पति ने लाहौर लौटने की जिद की. मगर इस बार भी जुबैदा के पिता को ये मंजूर नहीं था. नतीजा ये हुआ कि उनका तलाक हो गया.
जुबैदा की जिंदगी में दोबारा प्यार ने दस्तक दी. शिया मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वाली जुबैदा को देखते ही जोधपुर के राजा हनवंत सिंह का दिल आ गया. कहते हैं कि दोनों ने न धर्म देखा न राजा ने जुबैदा का तलाकशुदा होना. बस शादी कर ली. लेकिन जुबैदा को अपनाना शाही खानदान के लिए इतना भी आसान नहीं था. कहते हैं कि शादी के बाद जुबैदा राजा के लिए हिंदू बन गईं. दोनों का एक बेटा भी हुआ. मगर जिंदगी ने फिर जुबैदा को धोखा दिया. बेटे के जन्म के सिर्फ दो साल बाद ही जुबेदा और महाराज की प्लेन क्रैश में मौत हो गई.
ट्रेन्डिंग फोटोज़