शब्दों में बहुत शक्ति होती है और यही वजह है कि इसकी तुलना तलवार से की जाती है. शब्द किसी का दिल तोड़ सकते हैं और अपनी कोमलता से किसी दिल में घर भी बना सकते हैं. इसी तरह, मौन भी एक शक्तिशाली उपकरण है. चाणक्य नीति के अनुसार व्यक्ति को कुछ जगहों पर शब्दों का नहीं, बल्कि मौन का उपयोग करना चाहिए. जानिये वो 7 मौके कौन से हैं, जहां व्यक्ति को शांत रहना चाहिए, इसी में उसकी समझदारी होगी.
चाणक्य नीति, जीवन के कई जरूरी रहस्या बताती है. चाणक्य की बातों को अगर जीवन में उतार लें तो जीवन में बडे बदलाव देख सकते हैं. ऐसी ही एक जरूरी बात ये है कि आपको पता होना चाहिए कि कहां नहीं बोलना है. इन 7 जगहों पर बोलने से आपका काम खराब हो सकता है. इसलिए इन 7 जगहों पर चुप रहना सीखें.
लोगों से बात करते समय चुप रहना अक्सर उन्हें असहज महसूस कराता है. बस बातचीत जारी रखने के लिए वे ऐसी बातें कह देते हैं जो वे आम तौर पर नहीं कहते.
जब सामने वाले व्यक्ति को अपने इमोशन पर कंट्रोल नहीं हो रहा और वो लगातार बोलता जा रहा है. गुस्से में बोल रहा है तो ऐसी स्थिति में भी शांत रहें. इस जगह बोलना कोई समझारी नहीं होगी. आपकी चुप्पी बाद में उस व्यक्ति को पछतावे का एहसास कराएगी.
जब कोई व्यक्ति शोक मना रहा हो या किसी नुकसान का शोक मना रहा हो, तो उस समय उसके साथ रहना बेहतर होता है, बजाय कुछ कहने के. ऐसे महत्वपूर्ण क्षणों में कुछ कहना असंवेदनशील लग सकता है और उनके साथ आपके रिश्ते को खराब कर सकता है. इसके बजाय, चुपचाप उनके साथ रहें, यह बहुत कुछ कहता है.
चाहे वह ऑफिस में हो या आपकी निजी जिंदगी में, अगर आप खुद को ऐसे लोगों के बीच पाते हैं जो दूसरों के बारे में गॉसिप कर रहे हैं, तो ऐसी बातचीत से बचना सबसे अच्छा है. चुप रहकर गलत सूचना और नकारात्मकता के प्रसार को रोकने में मदद करें.
ऑफिस में अगर मीटिंग हो रही है और आपने उसकी तैयारी पहले से नहीं की है तो चुप रहना बेहतर होगा. सिर्फ सुनें और सीखें, यही समझदारी होगा. चुप रहना और श्रोता बने रहना बेहतर है, बजाय इसके कि ऐसी बातें कहें जो उचित या तथ्यात्मक रूप से सही न हों.
चुप रहना और दूसरों की बात सुनना लोगों के लिए आपके साथ अपने विचार और भावनाएं साझा करने के लिए एक सुरक्षित स्थान बना सकता है. इससे उन्हें आराम मिलेगा और आपका रिश्ता गहरा होगा.
कभी-कभी कुछ बुरा कहने से बेहतर है कि चुप रहें, जिसका आपको बाद में पछतावा हो सकता है. चुप रहने से आपको अपने शब्दों और उनके प्रभाव के बारे में सोचने का समय मिलता है.
अगर किसी ने आपसे स्पेस या प्राइवेसी मांगी है, तो बेहतर है कि आप उनकी जरूरतों का सम्मान करें और चुप रहें. इससे पता चलता है कि आप उनकी इच्छाओं का सम्मान और आदर करते हैं.
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