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यहां पर खत्म हो जाती है धरती! कहलाता है 'नरक का रास्ता' वाला बीच, चारों तरफ सिर्फ कंकाल ही कंकाल

END OF THE EARTH: नामीबिया के मूल निवासी बुशमैन लोगों ने इस जगह का नाम असल में "वह जमीन जिसे भगवान ने गुस्से में बनाया" रखा था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि यहां बार-बार भयानक घटनाएं होती रहती थीं. आज के समय में, इस सुनसान जमीन पर जिंदगी की सिर्फ यही निशानियां बची हैं - रेत के नीचे दबे हुए सड़ चुके सड़क के संकेत, जंग लग चुके और छोड़ दिए गए तेल निकालने के उपकरण, और धूप में झुलसे हुए इंसानों, जानवरों और जहाजों के मलबे.

 

भयानक समुद्र तट

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भयानक समुद्र तट

"भगवान के गुस्से में बनाई गई जमीन" कहे जाने वाले इस भयानक समुद्र तट कब्रिस्तान में जंग खाए जहाज़ों के अवशेष बिखरे हुए हैं.

 

नामीबिया कंकाल तट

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नामीबिया कंकाल तट

नामीबिया के कंकाल तट पर जहां तपता हुआ रेगिस्तान है, वहां एक हिरन का डरावना सा कंकाल पड़ा हुआ है.

 

जहाजों के मलबे

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जहाजों के मलबे

हजारों जहाजों के मलबे नामीबिया के कंकाल तट के रेतीले समुद्र तटों पर बिखरे हुए हैं.

 

सूनसान समुद्र तट

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सूनसान समुद्र तट

इस इलाके का पास वाला समुद्र अपने उबड़-खाबड़ पानी के लिए जाना जाता है, जो जहाजों को तहस-नहस कर देता है और फिर वे जहाज हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं.

 

दुनिया का अंत

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दुनिया का अंत

स्थानीय लोग इस इलाके को "दुनिया का अंत" कहते हैं और इस रेगिस्तान की रेत पर जाने से भी मना करते हैं जिसे वो अभागा मानते हैं.

 

टूटे हुए जहाज

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टूटे हुए जहाज

जब समुद्र का जल स्तर कम होता है, तो किनारे पर हजारों की तादाद में टूटे हुए जहाज, हवाई जहाज के मलबे और बाहर निकली हुई हड्डियां दिखाई देती हैं.

 

1904 से भी पुराने जहाज

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1904 से भी पुराने जहाज

यहां तक कि 1904 से भी पुराने जहाजों के अवशेष भी पाए जाते हैं, जिनमें सैकड़ों यात्री सवार थे. ये सभी जहाज अब कंकाल तट पर ही हमेशा के लिए सो गए हैं.

 

दलदल भी मौजूद

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दलदल भी मौजूद

किनारे पर बहकर आने वाले नाविकों के लिए वापसी का रास्ता सैकड़ों मील तक फैले घने दलदल से होकर जाता था.

 

रेगिस्तान की गर्मी

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रेगिस्तान की गर्मी

जिस रास्ते से गुजरते हुए कई लोग तपते रेगिस्तान की गर्मी और खतरों का सामना करते हुए मौत के मुंह में जा पड़े.

 

मुर्दा जानवरों की हड्डियां

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मुर्दा जानवरों की हड्डियां

यहां शेरों के झुंड से लेकर विशाल हाथियों के मृत शरीरों को भी देखा गया है, जो आम तौर पर इस रेगिस्तान को अपना घर कहते हैं.

 

नहीं है रहने के लायक

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नहीं है रहने के लायक

लगातार आने वाले धूल भरे तूफान और घने कोहरे ने इसे रहने के लायक भी नहीं छोड़ा. यहां रोजाना एक भयानक और प्रलय के दिन जैसा एहसास देता है.

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