Eye Lens Megapixel: बाजार में लगभग हर महीने ही नए-नए स्मार्टफोन आ रहे हैं. इस स्मार्टफोन के कैमरे की क्वालिटी भी शानदार होती हैं. नया मोबाइल खरीदते समय हर कोई सबसे पहले उसका कैमरा जरूर चेक करता है. खासकर यह देखना नहीं भूलते कि वह कितने मेगापिक्सल का है. मेगापिक्सल की बात आई है तो आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि इंसानी आंख का मेगापिक्सल इन कैमरों से कहीं ज्यादा होता है.
अधिक मेगापिक्सल वाला कैमरा बेहतर फोटो क्वालिटी प्रदान करता है. लेकिन हमारी आंखों के मेगापिक्सल के सामने इन स्मार्टफो का कैमरा कहीं नहीं टिकता. आइये आपको नजरों के विज्ञान के बारे में चौंकाने वाले तथ्य बताते हैं..
हमारी आंखों में एक प्राकृतिक लेंस होता है, जो किसी भी कैमरे की तरह काम करता है. यह लेंस कांच का नहीं, बल्कि प्राकृतिक होता है. यदि हमारी आंख को एक डिजिटल कैमरा माना जाए, तो यह 576 मेगापिक्सल तक के दृश्य दिखाने में सक्षम होती है. मतलब, हमारी आंखों का लेंस 576 मेगापिक्सल के बराबर होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंसान की आंखें कैमरे की तरह काम करती हैं और इसमें मुख्य रूप से तीन भाग होते हैं. पहला होता है लेंस, जो प्रकाश को एकत्र कर तस्वीर बनाता है.
दूसरा होता है सेंसर, जो छवि के प्रकाश को इलेक्ट्रिक सिग्नल्स में बदलता है. तीसरा होता है प्रोसेसर, जो इन इलेक्ट्रिक सिग्नल्स को इमेज में बदलकर स्क्रीन पर दिखाता है.
आंख एक बार में 576 मेगापिक्सल तक का दृश्य देख सकती है, लेकिन हमारा मस्तिष्क इस सारे डेटा को एक साथ प्रोसेस नहीं कर पाता. यह केवल कुछ ही हिस्सों को हाई डेफिनेशन में प्रोसेस करता है, इसीलिए किसी भी दृश्य को ठीक से देखने के लिए हमें अपनी आंखों को उस दिशा में घुमाना पड़ता है.
अब सवाल यह है कि क्या उम्र बढ़ने के साथ आंखों की क्षमता और मेगापिक्सल पर असर पड़ता है? तो इसका जवाब है हां. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर के अन्य अंगों की तरह ही आंखों का रेटिना भी कमजोर होने लगता है. इसका सीधा असर हमारी देखने की क्षमता पर पड़ता है और आंखों की मेगापिक्सल क्षमता में भी बदलाव आता है.
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