General Knowledge Quiz for students: समाज में शिक्षकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, इसलिए उन्हें समाज से उतना ही आदर और सम्मान भी मिलता है. लेकिन भारत और कई देशों में उनकी मेहनत के लिए संभवत: सैलरी ठीक नहीं मिलती. हालांकि कुछ देश ऐसे हैं, जहां शिक्षकों की सैलरी दुनिया में सबसे ज्यादा है. आइये उन 9 देशों के बारे में जानते हैं जहां के शिक्षकों की सैलरी दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.
लक्जमबर्ग अपने शिक्षकों को बढ़िया सैलरी देने के मामले में शीर्ष पर है. यह देश सालाना अपने हर टीचर्स को साल में औसतन 72 से 75 लाख रुपये का वेतन देता है. यह देश शिक्षा को बहुत महत्व देता है और ये सुनिश्चित करता है कि इसके शिक्षक विश्व स्तर पर सबसे अधिक कमाई करने वालों में से हैं.
कनाडा में टीचर्स को साल में औसतन 63 से 65 लाख रुपये का वेतन मिलता है.
स्विटजरलैंड में टीचर्स को सालाना 64 से 68 लाख रुपये तक का वेतन मिलता है. इस देश में शिक्षा का स्टैंडर्ड बहुत ऊपर है. प्रतिस्पर्धी वेतन देकर कुशल शिक्षकों को आकर्षित करने की प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है.
ऑस्ट्रेलिया में टीसर्च की औसत सैलरी 62 से 64 लाख रुपये है. ऑस्ट्रेलिया यह सुनिश्चित करता है कि उसके शिक्षकों को अच्छा वेतन मिले.
जर्मनी अपने कठिन शैक्षणिक माहौल के लिए मशहूर है और यह अपने शिक्षकों को हर साल औसतन 62 से 64 लाख रुपये की सैलरी देता है. शिक्षा में भारी निवेश करके जर्मनी यह सुनिश्चित करता है कि उसके शिक्षकों को उचित पारिश्रमिक मिले, जिससे उच्च शैक्षणिक मानकों की उसकी परंपरा को बल मिलता है.
नीदरलैंड में शिक्षकों को 58 से 60 लाख रुपये का वेतन मिलता है.
साउथ कोरिया अपने टीचर्स को 58 से 60 रुपये की सैलरी देता है. साउथ कोरिया में उच्च शिक्षा का बहुत महत्व है और शिक्षा के स्टैंडर्ड बनाए रखने के लिए वह अपने शिक्षकों को बहुत ही अच्छा वेतन देता है.
नॉर्वे में सैलरी के रूप में हर टीचर को सालाना 57 से 60 लाख का वेतन मिलता है. मजबूत इकोनॉमी के साथ नॉर्वे अपने मजबूत एजुकेशन के लिए भी खूब दिल खोलकर खर्च करता है. इस वजह से यहां क्वालिटी ऑफ एजुकेशन बहुत ही शानदार है.
डेनमार्क में शिक्षकों को सालाना 57 से 59 लाख रुपये की सैलरी मिलती है. यह देश सोशल वेलफेयर और एजुकेशन पर बहुत खर्च करता है.
भारत में शिक्षकों को हर महीने औसतन 30 हजार रुपये का वेतन मिलता है. यानी साल में 4 लाख से भी कम. भारत उन देशों में शुमार है, जो अपने शिक्षकों को सबसे कम वेतन देते हैं.
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