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ताला-चाबी से शुरुआत,मेड इन इंडिया के लिए अंग्रेजों से भिड़े...गोदरेज ने ऐसे तय किया ‘तिजोरी’ से ‘चांद’ तक का सफर, फिर से क्यों चर्चा में ?

Godrej Inside Story:साबुन से लेकर लॉकर तक बनाने वाला गोदरेज ग्रुप किसी पहचान की मोहताज नहीं है. ताले-चाबी से लेकर अंतरिक्ष का सफर करने वाले गोदरेज की शुरुआत आजादी की जंग के साथ हुई. साल 1987 में देश में आजादी का संघर्ष तेज हो गया था. स्वदेशी आंदोलन जोर पकड़ने लगा था.

गोदरेज का सफर

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गोदरेज का सफर

Godrej Inside Story: साबुन से लेकर लॉकर तक बनाने वाला गोदरेज ग्रुप किसी पहचान की मोहताज नहीं है. ताले-चाबी से लेकर अंतरिक्ष का सफर करने वाले गोदरेज की शुरुआत आजादी की जंग के साथ हुई. साल 1987 में देश में आजादी का संघर्ष तेज हो गया था. स्वदेशी आंदोलन जोर पकड़ने लगा था. संघर्ष की सुगबुगाहट के बीच एक वकील ने अपने तरीके से अंग्रेजों को सांकेतिक जवाब देने की कोशिश की , ये वकील कोई और नहीं बल्कि गोदरेज के फाउंडर अर्देशिर गोदरेज थे.  

‘मेड इन इंडिया’ लिखवाने के लिए अंग्रेजों से अड़ गए गोदरेज

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 ‘मेड इन इंडिया’ लिखवाने के लिए अंग्रेजों से अड़ गए गोदरेज

 

साल 1897 में अर्देशिर गोदरेज और पिरोजशा बुर्जोरजी गोदरेज ने सिर्फ 3 हजार रुपए लेकर सर्जरी ब्लेड का बिजनेस शुरू किया, लेकिन वो ज्यादा दिन चल न सका. ब्लेड पर ‘मेड इन इंडिया’ लिखवाने के लिए अंग्रेजों से अड़ गए, जिसके चलते उनका पहला बिजनेस फेल हो गया.  गोदरेज ने हार न मानी और एक दिन अखबार पढ़ते हुए उन्हें बिजनेस का नया आइडिया मिल गया. दरअसल बंबई में चोरी की घटनाएं बढ़ गई थी. पुलिस ने लोगों को अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए कहा. इस खबर ने आर्देशिर को बिजनेस का आइडिया दे दिया और यहां से गोदरेज की सफलता की शुरुआत हुई.

कारोबार के साथ अंग्रेजों पर प्रहार

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 कारोबार के साथ अंग्रेजों पर प्रहार

 

ये वो दौर था, जब भारत में इंग्लैंड के ताले आते थे, लेकिन वो काम चलाऊ थे, अर्देशिर ने उस कमी को पकड़ लिया और देश में ही ताले बनाने का फैसला किया. इन तालों के दम पर उन्होंने पहचान बनाई. इस बिजनेस ने गोदरेज को अलग पहचान दे दी. गोदरेज ने ऐसे लॉक्स बनाए, जो पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित थे. कर्ज लेकर उन्होंने बॉम्बे गैस वर्क्स के बगल में 215 वर्ग फुट का गोदाम खोला और ताले बनाने का काम शुरू कर दिया. कारोबार बढ़ा तो अर्देशिर के छोटे भाई पिरोजशा भी व्यवसाय में शामिल हो गए. 

गोदरेज ब्रदर्स का चल गया सिक्का

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 गोदरेज ब्रदर्स का चल गया सिक्का

 

धीरे-धीरे कारोबार बढ़ने लगा. ताले के बाद उन्होंने साबुन बनाना शुरू किया. साल 1923 में आलमारी के साथ उन्होंने फर्नीचर सेक्शन में एंट्री की. गोदरेज के आलमीरों की धूम मच गई. साल 1952 में दुनिया का पहला एनिमल फैट फ्री साबुन बनाया. इसके बाद 1958 में उन्होंने रेप्रिजरेट्र लॉन्च किया, 1990 में गोदरेज प्रॉपर्टीज की शुरुआत हुई.  इसके बाद उन्होंने 1997 में एग्रीकल्चर सेक्टर में एंट्री की. 2005 में गोदरेज नेचर बास्केट की शुरुआत हुई. साल 2008 में चद्रयान 1 के साथ गोदरेज ने अंतरिक्ष तक का सफर किया.  गोदरेज ने चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और लूनर आर्बिटर तैयार किए.

127 साल पुरानी कंपनी, संपत्ति विवाद को लेकर चर्चा में गोदरेज

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 127 साल पुरानी कंपनी, संपत्ति विवाद को लेकर चर्चा में गोदरेज

 

साबुन से लेकर लॉकर तक बनाने वाला गोदरेज ग्रुप का संपत्ति विवाद और बंटवारा चर्चा में रहा. पांच सालों तक बंटवारे का विवाद चला और कंपनी को दो हिस्सों में बंटा गया. बंटवारे के बाद एक हिस्सा आदि गोदरेज और उनके भाई नादिर को मिला और दूसरा हिस्सा उनके चचेरे भाई जमशेद और बहन स्मिता को। आदि और नादिर के हिस्से में गोदरेज इंडस्ट्रीज और उसकी पांच लिस्टेड कंपनियां आई और जमशेद और स्मिता के हिस्से में गैर-लिस्टेड कंपनी .  

अब क्यों चर्चा में गोदरेज

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 अब क्यों चर्चा में गोदरेज

आदि-नादिर गोदरेज फैमिली ने गोदरेज इंडस्ट्रीज में ब्लॉक डील के जरिए 12.65 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है. फैमिली सेटलमेंट की शर्तों के तहत आदि-नादिर गोदरेज फैमिली ने ये हिस्सेदारी आरकेएन एंटरप्राइजेस से खरीद लिया है. जिसके बाद इन दोनों की हिस्सेदारी गोदरेज इंडस्ट्रीज में बढ़ जाएगी.  आरकेएन एंटरप्राइजेस का मालिकाना हक रिशद नेरोजी के पास है .

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