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ISRO पहली बार SpaceX से लॉन्च कराएगा अपना सैटेलाइट? क्यों लेनी पड़ी मदद

ISRO Satellite GSAT-20 Launching: इसरो (ISRO) और स्पेसएक्स (SpaceX) से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. दरअसल, इतिहास में पहली इसरो, सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए एलन मस्क (Elon Musk) की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स की मदद लेने जा रहा है. इसरो ने ऐलान किया है कि स्पेसएक्स की मदद से वह अपनी कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को लॉन्च करेगा. अब आपके मन में ये सवाल जरूर होगा कि जब इसरो हर तरह से सक्षम है. चंद्रयान जैसा सबसे मुश्किल मिशन भी पूरा कर चुका है तो उसके स्पेसएक्स की मदद क्यों लेनी पड़ रही है? मेक इन इंडिया के नारे पर चलने वाले भारत की स्पेस एजेंसी इसरो को विदेशी प्राइवेट कंपनी स्पेसएक्स की जरूरत क्यों है? आइए इसकी वजह जान लेते हैं.

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बता दें कि स्पेसएक्स का इसरो के कम्युनिकेशन सैटेलाइट GSAT-20 को लॉन्च करेगा. जानकारी के मुताबिक, इस साल के दूसरे क्वार्टर में GSAT-20 की लॉन्चिंग होनी है. GSAT-20 सैटेलाइट भारी-भरकम है और इसी वजह से इसे लॉन्च करने में इसरो को स्पेसएक्स की मदद लेनी पड़ रही है.

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न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के मुताबिक, GSAT-20 सैटेलाइट का वजन 4 हजार 700 किलोग्राम है. जबकि इसरो के पास जो रॉकेट है वह मैक्सिमम 4 हजार के वजन वाली सैटेलाइट ही लॉन्च कर सकता है. GSAT-20 सैटेलाइट का 700 किलोग्राम वजन ज्यादा पड़ रहा है. इस वजह से इसरो को स्पेसएक्स की मदद लेनी पड़ रही है.

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गौरतलब है कि इसरो के GSAT-20 सैटेलाइट को स्पेसएक्स का फॉल्कन-9 रॉकेट (Falcon-9) लॉन्च करेगा. बता दें कि इसरो के पास अभी LVM3 रॉकेट है जिसकी क्षमता 4 टन तक की है. इसी वजह से सैटेलाइट लॉन्च की ये डील एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को देनी पड़ी है.

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बता दें कि देश की ब्रॉडबैंड कम्युनिकेशन जरूरतों को पूरा करने के लिए GSAT-20 सैटेलाइट स्पेस में भेजा जाएगा. GSAT-20 एक केए-बैंड सैटेलाइट है जो हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्टिविटी, डिजिटल वीडियो और ऑडियो ट्रांसमिशन देगा.

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हालांकि, भारत के तमाम प्राइवेट सैटेलाइट प्लेयर्स तो पहले ही स्पेसएक्स से कई छोटे सैटेलाइट लॉन्च करवा चुके हैं. बताया जाता है कि स्पेसएक्स के जरिए स्पेस में सैटेलाइट भेजने की कॉस्ट इसरो के मुकाबले कम है.

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