महाशिवरात्रि का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह त्योहार हर साल मनाते हैं. इस बार यह 8 मार्च को मनाया जाएगा. कहते हैं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन भोलेनाथ के साथ मां पार्वती की भी पूजा की जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का दूध या पानी से अभिषेक करने से और उन्हें बेलपत्र चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है. महाशिवरात्रि पर बेलपत्र चढ़ाने से पहले जान लें ये जरूरी नियम.
बेलपत्र कभी भी महाशिवरात्रि, शिवरात्रि, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, प्रदोष व्रत, और सोमवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए. इस दिन बेलपत्र चढ़ाने के लिए एक दिन पहले ही बेलपत्र को तोड़कर रख लेना चाहिए. बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का स्मरण जरूर करना चाहिए. बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि इसे टहनी के साथ न तोड़े, बेलपत्र की पत्तियों को ही तोड़े.
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र तीन पत्तियों वाला हो और उस पर कोई दाग-धब्बा न हो.
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र कहीं से कटा-फटा न हो. शिवलिंग पर हमेशा पूर्ण बेलपत्र चढ़ाया जाता है.
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखें कि बेलपत्र की चिकनी साइड ही शिवलिंग पर रखें. महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि बेलपत्र को 11 या 21 या की संख्या में ही चढ़ाएं. इसके अलावा एक बेलपत्र भी शिवलिंग पर चढ़ाया जा सकता है. महाशिवरात्रि के दिन अगर आपके बेलपत्र नहीं है तो शिवलिंग पर चढ़ा हुए बेलपत्र को धोकर भी इसे दोबारा चढ़ा सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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