Astronauts Death in Space: सामान्य तौर पर जब किसी व्यक्ति की मौत धरती पर होती है तो उसका अंतिम क्रियाकर्म किया जाता है. धार्मिक रीति रिवाजों के हिसाब से किसी को दफनाया तो किसी को जलाया जाता है. क्या आपने सोचा है कि अगर किसी अंतरिक्ष यात्री की मौत स्पेस में हो जाए तो उसका अंतिम क्रियाकर्म कैसे संपन्न होता है.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मानव को अंतरिक्ष में भेजना एक असाधारण रूप से कठिन और खतरनाक काम है।मानव अंतरिक्ष अन्वेषण 60 साल पहले शुरू हुआ था, इसमें अब तक 20 लोग मारे गए हैं. 1986 और 2003 के बीच नासा अंतरिक्ष शटल त्रासदी में 14 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई.1971 के सोयुज 11 मिशन के दौरान तीन अंतरिक्ष यात्री, और 1967 में अपोलो एक लॉन्च पैड की आग में तीन अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हुई थी.
यदि कोई निचले-पृथ्वी-कक्षा मिशन पर मर जाता है जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तो चालक दल कुछ घंटों के भीतर एक कैप्सूल में शरीर को पृथ्वी पर वापस ला सकता है.यदि यह चंद्रमा पर हुआ, तो दल कुछ ही दिनों में शव के साथ पृथ्वी पर वापस लौट सकता है। नासा के पास ऐसे हालात के लिए पहले से ही विस्तृत प्रोटोकॉल मौजूद हैं.
यदि मंगल ग्रह की 30 करोड़ मील की यात्रा के दौरान किसी अंतरिक्ष यात्री की मृत्यु हो जाए तो चीजें अलग होंगी.उस हालात में चालक दल शायद मुड़कर वापस नहीं जा पाएगा। इसकी जगह मिशन के अंत में जो कुछ साल बाद होगा, शव चालक दल के साथ पृथ्वी पर लौटने की संभावना है. इस बीच चालक दल संभवतः शव को एक अलग कक्ष या विशेष बॉडी बैग में संरक्षित करेगा.
अंतरिक्ष यान के अंदर स्थिर तापमान और आर्द्रता सैद्धांतिक रूप से शरीर को संरक्षित करने में मदद करेगी लेकिन ये सभी परिदृश्य केवल तभी लागू होंगे जब किसी की मृत्यु अंतरिक्ष स्टेशन या अंतरिक्ष यान जैसे दबाव वाले वातावरण में हुई हो.यदि कोई व्यक्ति बिना स्पेससूट की सुरक्षा के अंतरिक्ष में कदम रखे तो क्या होगा. इसका जवाब यह है कि अंतरिक्ष यात्री लगभग तुरंत मर जाएगा.
दाह संस्कार की संभावना ना के बराबर है क्योंकि इसके लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो दल के जीवित सदस्यों को अन्य उद्देश्यों के लिए चाहिए होती है. दफनाना भी एक अच्छा विचार नहीं है। शरीर से बैक्टीरिया और अन्य जीव मंगल ग्रह की सतह को दूषित कर सकते हैं.
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