Sun-Jupiter Hit: सौरमंडल रहस्यों से भरा हुआ है. हर ग्रह की अपनी अलग खासियत है. जैसे यूरेनस ग्रह पर आप खड़े नहीं हो सकते. शनि ग्रह के चारों ओर आप जो रिंग्स देखते हैं, वह 90 प्रतिशत पानी से बनी हुई हैं. ऐसे ही कितने राज अंतरिक्ष समेटे हुए है. हर ग्रह एक दूसरे से लाखों-करोड़ों मील दूर है और ये सब अपनी-अपनी धुरी पर घूमते हुए सूरज के चक्कर लगाते हैं.
सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा ग्रह है बृहस्पति यानी जूपिटर. यह इतना बड़ा ग्रह है कि इसमें करीब 1300 धरती समा सकती हैं. लेकिन जरा सोचिए कि अगर इतना बड़ा ग्रह सूर्य से टकरा जाए तो क्या होगा और क्या उसका धरती पर कोई असर पड़ेगा या नहीं.
माना जाता है कि जूपियर सबसे पुराना ग्रह है, जो 4.6 अरब वर्ष पहले सूर्य के निर्माण के दौरान बची धूल और गैसों से बना है. यहां के वातावरण में हायड्रोजन और हीलियम हैं. जूपिटर पर अकसर बड़े तूफान आते हैं.
जूपियर के आसपास भी धूल से बनी रिंग्स हैं, लेकिन वह दिखाई नहीं देतीं. जूपिटर में 79 चंद्रमा हैं और 53 को ही नाम दिए गए हैं. इसका सबसे बड़ा चंद्रमा बुध और प्लूटो से भी बड़ा है.
अब बात करते हैं सूर्य की. य़ह 74 प्रतिशत हायड्रोजन और 24 प्रतिशत हीलियम से बना है. यह सोलर सिस्टम में सबसे बड़ा है. सूर्य की सतह का तापमान 5,505 डिग्री सेल्सियस है. जबकि टेंपरेचर 5,973 डिग्री सेल्सियस से 15,000,000 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. यह धरती से 150 मिलियन किलोमीटर दूर है.
अब समझते हैं कि जूपियर अगर सूर्य से टकरा जाए तो क्या होगा. सबसे पहले सूर्य का द्रव्यमान (Mass) बहुत तेजी से बढ़ेगा, जिससे वह अधिक गर्म हो जाएगा और शायद वैश्विक तापन की स्थिति पैदा हो जाएगी.
बृहस्पति का ग्रैविटी फोर्स धरती समेत सभी ग्रहों की कक्षाओं को स्थिर रखता है. इसके बिना, ऑर्बिट अपने रास्ते से भटक सकती हैं और धरती अपनी कक्षा से पूरी तरह बाहर भी जा सकती है.
बृहस्पति यूनिवर्स का वैक्यूम क्लीनर की तरह काम करता है, जो एस्टेरॉयड्स और धूमकेतुओं से निपटता है. वरना ये धरती को प्रभावित कर सकते हैं. अगर बृहस्पति ग्रह नहीं होगा तो धरती से इन खतरनाक चीजों का टकराना ज्यादा आसान हो जाएगा.
बृहस्पति के टकराने के बाद कुछ समय के लिए सूर्य बृहस्पति की ऊर्जा को कन्वर्ट करके ज्यादा चमकीला हो जाएगा. इसका मतलब यह हो सकता है कि दिन में ज्यादा धूप होगी और रात में आसमान ज्यादा चमकीला होगा.
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