हैदराबाद में ऑफिस स्पेस की कुल मांग सालाना आधार पर 56 प्रतिशत बढ़कर 1.25 करोड़ वर्ग फीट हो गई. मुंबई में डिमांड 43 प्रतिशत बढ़कर एक करोड़ लाख वर्ग फीट जबकि पुणे में चार प्रतिशत बढ़कर 57 लाख वर्ग फीट हो गई.
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Colliers India Report: देश में इस साल वर्किंग स्टेशन की लीज पट्टा मांग मजबूत रही. छह प्रमुख शहरों में यह 14 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 6.64 करोड़ वर्ग फीट पर पहुंच गई. एक रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी गई. कोलियर्स इंडिया के अनुसार, 2023 कैलेंडर वर्ष में ‘ग्रेड ए’ ऑफिस स्पेस की मांग 5.82 करोड़ वर्ग फीट थी. रियल एस्टेट एडवाइज कोलियर्स इंडिया ने देश के छह प्रमुख ऑफिस मार्केट के आंकड़े मंगलवार को जारी किए. बेंगलुरु में ऑफिस स्पेस को लीज पर लेने की मांग 2024 में रिकॉर्ड 2.17 करोड़ वर्ग फीट रही जो कैलेंडर ईयर 2023 की 1.5.6 करोड़ वर्ग फुट से 39 प्रतिशत अधिक है.
हैदराबाद में 1.25 करोड़ वर्ग फीट पर पहुंची मांग
हैदराबाद में ऑफिस स्पेस की कुल मांग सालाना आधार पर 56 प्रतिशत बढ़कर 1.25 करोड़ वर्ग फीट हो गई. मुंबई में डिमांड 43 प्रतिशत बढ़कर एक करोड़ लाख वर्ग फीट जबकि पुणे में चार प्रतिशत बढ़कर 57 लाख वर्ग फीट हो गई. हालांकि, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और चेन्नई में मांग में गिरावट आई. चेन्नई में ऑफिस स्पेस की मांग 35 प्रतिशत घटकर 68 लाख वर्ग फीट हो गई. दिल्ली-एनसीआर में यह 16 प्रतिशत घटकर 97 लाख वर्ग फीट रही. इस मांग को बनाए रखने में मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी कंपनियों और इंजीनियरिंग और विनिर्माण कंपनियों के अलावा वित्तीय सेवा प्रदाताओं की अहम भूमिका रही.
रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश भी बढ़ा
इससे पहले खबर आई कि इंडियन रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश (institutional investment) साल 51 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 8.87 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. रियल एस्टेट एडवाइजर जेएलएल इंडिया ने एक रिपोर्ट में इससे जुड़ी जानकारी देते हुए कहा कि निवेशक हाउसिंग, ऑफिस और वेयरहाउसिंग प्रॉपर्टी की मजबूत मांग को भुनाना चाहते हैं, जिस कारण यह इजाफा देखा गया. जेएलएल इंडिया की तरफ से जारी रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि साल 2024 में भारतीय रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थागत निवेश का आंकड़ा 8.87 अरब डॉलर रहेगा, जबकि 2023 के कैलेंडर साल में यह 5.87 अरब डॉलर था.
रियल एस्टेट सेक्टर में कुल संस्थागत निवेश में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का योगदान 63 प्रतिशत रहा. अलग-अलग प्रॉपर्टी कैटेगरी की बात करें तो हाउसिंग सेक्टर को 45 प्रतिशत निवेश मिला है. इसके बाद ऑफिस बिल्डिंग में 28 प्रतिशत और वेयरहाउसिंग (भंडारण) संपत्तियों में 23 प्रतिशत निवेश हुआ. (इनपुट भाषा)