Prayagraj Mahakumbh News: प्रयागराज में लगने जा रहा महाकुंभ कई मायनों में नए रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. वहां पर इस बार 40 हजार से ज्यादा रिचार्जेबल लाइट्स लगाई जा रही हैं, जो अपने आप चार्ज हो जाया करेंगी.
Trending Photos
Prayagraj Mahakumbh 2025 Rechargeable Light News: इस बार महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता में रोशनी का भी भरपूर साथ रहेगा. महाकुंभ के दौरान शाम के समय मेला क्षेत्र की चमचमाती रोशनी गंगा और यमुना की कलकल बहती निर्मल धारा को और भी अलौकिक रूप प्रदान करेगी. इस अलौकिक दृश्य को श्रद्धालु बिना किसी बाधा के निहार सकें, इसके लिए योगी सरकार अनूठी पहल करने जा रही है. पहली बार पूरे मेला क्षेत्र को 24 घंटे रोशनी बनाए रखने के लिए 40 हजार से अधिक रिचार्जेबल लाइट्स (रिचार्जेबल बल्ब) का उपयोग किया जा रहा है.
महाकुंभ में नहीं जाएंगी बिजली
ये बल्ब खुद को रिचार्ज करते हैं और बिजली जाने पर भी रोशनी देते रहते हैं. इससे यदि किसी फॉल्ट या अन्य वजह से अचानक बिजली चली जाती है, तो भी ये बल्ब अंधेरा नहीं होने देते. महाकुंभ ही नहीं, उत्तर प्रदेश में पहली बार इस तरह की लाइट्स का उपयोग किसी बड़े आयोजन में होने जा रहा है.
मेला क्षेत्र में विद्युत विभाग के प्रभारी अधिशासी अभियंता अनूप कुमार सिन्हा ने बताया कि जो विद्युत संयोजन हम लोग मेले में देंगे, उसमें हमने इस बार नॉर्मल एलईडी बल्ब के साथ ही रिचार्जेबल बल्ब भी उपयोग में लाने का निर्णय लिया है. इस बार पूरे मेला क्षेत्र में हमें साढ़े चार लाख कनेक्शन देने हैं, तो उसके 1/10 के आसपास यानी 40 से 45 हजार के बीच रिचार्जेबल बल्ब भी लगाए जाएंगे.
दिन में अपने आप हो जाएंगे चार्ज
रिचार्जेबल बल्ब में इनबिल्ट बैटरी होती है, जो लाइट चालू रहने पर चार्ज होती रहती है, बिजली जाने पर, ये बैटरी ही बल्ब को रोशन रखती है. इसका लाभ ये होगा कि यदि किसी कैंप में 5-6 बल्ब लगे हैं और किसी कारण से लाइट चली गई, तो एक रिचार्जेबल बल्ब भी जलता रहेगा, तो अंधेरे की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी.
उन्होंने बताया कि हमने बैकअप लाइट की भी व्यवस्था की है, इसके लिए जेनसेट वगैरह का उपयोग व्यापक पैमाने पर होगा, जहां हम सप्लाई को एक से दो मिनट में रिस्टोर कर लेंगे. लेकिन इस एक से दो मिनट के बीच में भी हमारा प्रयास जीरो लाइट्स की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देना है. उन्होंने बताया कि ये रिचार्जेबल लाइट्स नॉर्मल बल्ब के साथ ही लगाई जाएंगी. नॉर्मल बल्ब की तरह ही इनकी भी रोशनी होगी. लेकिन यदि किसी वजह से लाइट जाती है, तो बाकी बल्ब ऑफ हो जाएंगे, लेकिन यह बल्ब काम करता रहेगा.
करीब 2.7 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना
उन्होंने बताया कि विद्युत विभाग की जो परियोजनाएं महाकुंभ मेला क्षेत्र में चल रही हैं, उसी में से इन बल्ब के लिए फंड की व्यवस्था की जाएगी. अमूमन एक रिचार्जेबल बल्ब की कीमत लगभग 600 से 700 रुपये के बीच होती है. ऐसे में 45 हजार बल्ब लगाने के लिए करीब 2.7 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है. हालांकि, बल्ब की संख्या आवश्यकता के अनुसार घट-बढ़ सकती है.
उन्होंने बताया कि रिचार्जेबल बल्ब का कांसेप्ट अभी एक-दो साल पहले ही आया है. अभी यह प्रयोग प्रदेश के अंदर किसी बड़े मेले या बड़े आयोजन में नहीं किया गया है. पहली बार महाकुंभ में इसका उपयोग किया जा रहा है. मेला क्षेत्र में स्थापित कैंप ही नहीं, बल्कि कैंप के बाहर भी लाइट जाने पर अंधेरा न हो, इसकी पुख्ता व्यवस्था की जा रही है.
67 हजार नॉर्मल लाइट्स की भी रहेगी व्यवस्था
उन्होंने बताया कि कैंप के बाहर हम 67 हजार नॉर्मल लाइट्स की व्यवस्था कर रहे हैं और इसके भी बैकअप के लिए हमने 2 हजार सोलर हाइब्रिड लाइट्स की व्यवस्था की है. सोलर हाइब्रिड लाइट्स ऐसी लाइट्स होती हैं, जो लाइट जाने पर भी लगातार काम करती रहेगी. इसमें बैटरी का बैकअप है, जो सूर्य की किरणों से चार्ज होती है. लाइट जाने की स्थिति में यह बैटरी के माध्यम से रोशनी देती है. ये दो हजार सोलर हाइब्रिड लाइट्स भी जीरो लाइट्स की आशंका को खत्म करने के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं.
(एजेंसी आईएएनएस)