Panchak In April 2024: पंचक सुनते ही मन में नकारात्मक भाव आ जाते है, हो भी क्यों न क्योंकि पंचक में घटित घटनाओं की पांच बार पुनरावृत्ति होने की आशंका रहती है इसलिए जब किसी का निधन होता है तो लोग सर्वप्रथम पंचक तो नहीं लगा है यह देखते हैं. पंचक का संबंध मृत्यु से नहीं बल्कि दाह संस्कार से है. दाह संस्कार के समय पंचक होना शुभ नहीं माना जाता है. 


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दाह संस्कार करने के साथ ही कुछ विशेष कर्मकांड किये जाते हैं जिससे उस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो. बिना पूजा पाठ के अंतिम संस्कार करने से मृत्यु प्राप्त व्यक्ति के कुल, गली मोहल्ले, गांव आदि में पांच बार वैसी घटना की पुनरावृत्ति होने की आशंका बनी रहती है.


क्या है पंचक


पांच नक्षत्रों का समूह होने के कारण ही इन्हें पंचक संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है. यह ऐसा समूह है जिसमें जब चंद्रमा प्रवास करता है तो कोई भी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. कुल 27 नक्षत्रों में से चंद्रमा जब नक्षत्र संख्या 23 से 27 तक में भ्रमण करता है अर्थात धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती में रहता है तो इन्हें पंचक संज्ञक नक्षत्र कहा जाता है. दरअसल, चंद्रमा जब राशि चक्र की अंतिम दो राशियों कुंभ और मीन राशि में होता है तब पंचक नक्षत्र होता है.


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पंचक में वर्जित कार्य


पंचक योग प्रत्येक माह में पांच दिनों के लिए बनता है, इसलिए शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पंचक योग है या नहीं जरूर देख लेना चाहिए. उसके बाद ही कार्य की शुरुआत करनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक संज्ञक नक्षत्र की स्थिति में यज्ञोपवीत, विवाह, नई नौकरी की शुरुआत, यात्रा आदि करना वर्जित माना गया है. 


पंचक संज्ञक नक्षत्र में इन कार्यों को शुरू करने से कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. घर में ईंधन अथवा चारपाई यानी बेड के लिए लकड़ी का संग्रह, आपसी कलह, विभिन्न प्रकार के रोग, किसी यात्रा पर जाने या अन्य कोई शुभ कार्य करने पर जुर्माना लगने अथवा धन हानि की संभावना बनी रहती है. इन पांच नक्षत्रों के समूह को मुहूर्त दोष के रूप में देखा जाता है. 


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