Ganesh Ji: गणेश जी के पीछे से दर्शन करना बना सकता है दरिद्र, जानें गणपति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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Ganesh Ji: गणेश जी के पीछे से दर्शन करना बना सकता है दरिद्र, जानें गणपति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Budhwar Puja: हर सप्ताह किसी न किसी भगवान को समर्पित है उसी तरह बुधवार को गणेश भगवान की पूजा की जाती है. लेकिन क्या आपके कभी सोचा है कि बुधवार का ही दिन गणेश भगवान को क्यों समर्पित है. जानें

 

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Ganesh Puja Niyam: गणेश भगवान को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है. उनकी पूजा मात्र से व्यक्ति के जीवन में आ रही बाधा टल जाती है. इसलिए हर शुभ काम से पहले उनकी विशेष रूप से पूजा की जाती है. बुधवार को दिन भगवान गणेश और बुध देव की पूजा का दिन है. इस दिन विशेष तौर पर लोग विघ्नहर्ता की पूजा करते हैं. कहते हैं इस दिन उनकी पूजा करने से वे जल्द प्रसन्न होते हैं. लेकिन क्या आपको पता कि बुधवार के ही दिन क्यों गणेश भगवान की पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इसके पीछे के रोचक तथ्यों के बारें. 

इसके पीछे है पौराणक कथा

भगवान गणेश की पूजा बुधवार के दिन करने के पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार कहते हैं कि जब मां पार्वती ने भगवान गणेश को बनाया था उस दिन कैलाश पर बुधदेव भी उपस्थित थे. बुधदेव ने ही सबसे पहले गणेश भगवान के दर्शन किए इसलिए वे उनके प्रतिनिधित्व ग्रह कहलाएं. इसलिए बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

एक अन्य कथा है अनुसार कहते हैं कि जब भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध करने निकले तो वे बिना भगवान गणेश की पूजा के निकल गए इसलिए पहली बार वे युद्ध में सफल हो गए. इस पर विचार करने के बाद उन्होंने अगले युद्ध से पहले गणेश भगवान की पूजा की और फिर त्रिपुरासुर से युद्ध के जीत गए इसलिए जब से ही किसी भी काम की शुरुआत से पहले गणेश भगवान की पूजा करने की प्रथा शुरु हुई. कहते हैं कि जिस दिन शिव त्रिपुरासुर से युद्ध जीते थे उस दिन बुधवार ही था.

पीछे से कभी नहीं किए जाते दर्शन

शास्त्रों के अनुसार गणेश भगवान की पीठ के दर्शन कभी नहीं करने चाहिए. कहते हैं कि उनका पीठ की तरफ दरिद्रता का वास होता है इसलिए हमेशा सामने से ही गणेश भगवान के दर्शन किए जाते हैं. 
मां लक्ष्मी के साथ क्यों होती है पूजा

अक्सर हम पूजा में मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा साथ करते हैं इसके पीछे भी एक कथा प्रचलित है. कहते हैं कि कोई संतान न होने के कारण मां लक्ष्मी बहुत दुखी थी, जब ये बात पार्वती को पता चली हो उन्होंने गणेश भगवार को मां लक्ष्मी के गोद में बैठाकर बोला की गणेश भी आपका पुत्र है. इससे लक्ष्मी मां बहुत प्रसन्न हुई और कहा कि जो व्यक्ति मेरी पूजा गणेश भगवान के साथ नहीं करेगा उसके घर सुख-संपन्नता और लक्ष्मी का वास नहीं होगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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