Ghagh and Bhaddari: घाघ भड्डरी की खेती किसानी से जुड़े मौसम को लेकर कहावतें इतनी सटीक बैठती थीं कि कई बार किसी बहुत ही जानकार आदमी को भी घाघ कहा जाने लगा. आधुनिक कृषि विज्ञान जब नहीं था तो घाघ की यही कहावतें किसानों का मार्गदर्शन करती थीं.
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Ghagh Bhaddari Prediction: कृषि मौसम विज्ञान को बहुत से लोग आधुनिक युग की देन मानते हैं. मौसम विज्ञान के सहारे ही हम दुनिया के किसी भी क्षेत्र में आने वाले आंधी, तूफान, बारिश, सूखा आदि से जुड़ी हुई जानकारी हासिल कर भविष्यवाणी जारी कर देते हैं. इन भविष्यवाणियों के आधार पर ही कुछ समय पहले ही अलर्ट जारी कर हजारों लाखों लोगों का जीवन बचाया जाता है. किंतु काफी समय पहले भी अनुभवी लोग आसमान को निहार कर मौसम संबंधी भविष्यवाणियां करते थे. इन्हीं में से एक थे महाकवि घाघ भड्डरी.
खेती किसानी से जुड़े मौसम को लेकर घाघ की कहावतें इतनी सटीक बैठती थीं कि कई बार किसी बहुत ही जानकार आदमी को भी घाघ कहा जाने लगा. आधुनिक कृषि विज्ञान जब नहीं था तो घाघ की यही कहावतें किसानों का मार्गदर्शन करती थीं. घाघ की इन कहावतों में जहां एक ओर खेती और मौसम से जुड़ी जानकारी होती थी. वहीं, उनके पीछे नक्षत्र और मुहूर्त का गहरा ज्ञान भी छिपा होता था. उन्होंने लोगों के स्वभाव और स्वास्थ्य पर भी काफी बोला. आइए उनकी कुछ कहावतों के आधार पर उनके गहरे ज्ञान को समझने की कोशिश करते हैं.
चना चित्तरा चौगुना, स्वाती गेहूं होय अर्थात चित्रा नक्षत्र में चना और स्वाति नक्षत्र की स्थिति में गेहूं को बोने पर उसकी पैदावार चार गुना अधिक होती है. किसानों ने इसे सत्य मानकर चित्रा नक्षत्र में चना और स्वाती में गेहूं को बोकर देखा तो लहलहाती फसल को देख कर वह भी हैरान रह गए. अब जिस किसान ने यह परिणाम पाया तो वह भी इस कहावत को गाने लगा. इस तरह यह परिपाटी ही बन गयी.
इसी तरह घाघ ने लिखा, चित्रा गेहूं आर्द्रा धान, न उनके गेरूई न इनके घाम, अर्थात चित्रा नक्षत्र में गेहूं बोने से गेहूं में गेरूई नाम का रोग नहीं लगता है और आर्द्रा नक्षत्र में धान यानी चावल बोने पर इसमें तेज धूप का असर नहीं होता है.
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