Gopashtami 2024: गाय के नाम पर भगवान कृष्ण का नाम गोविंद रखा गया था. लेकिन क्या आपको पता है कि पूरी कहानी कि कैसे हुई थी गोपाष्टमी की शुरुआत.
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Gopashtami 2024: सनातन में कई प्रकार के पर्व त्योहार मनाए जाते हैं. सनातन में प्रकृति की पूजा से लेकर जानवरों की भी पूजा की जाती है. इसी क्रम में गोपाष्टमी भी मानाई जाती है. गोपाष्टमी के दिन गौ माता की पूजा होती है. पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण पौगंड अवस्था में पहुंचे, तब उस दिन नंद महाराज ने गायों और बाल कृष्ण के लिए एक समारोह का आयोजन किया.
पहली बार गाय चराने निकले थे कृष्ण
मान्यताओं के मुताबिक इस दिन श्री कृष्ण और भाई बलराम के गायों को लेकर पहली बार चराने निकले थे. गोपाष्टमी कार्तिक मास में मनाया जाता है. यह त्योहार दीपावली के बाद आने वाले त्योहार गोवर्धन पूजा के 7 दिनों के बाद मनाया जाता है. गोपाष्टमी का त्यौहार हमें बताता हैं कि हम सभी के लिए गाय कितना महत्वपूर्ण है.
गौ माता के लिए करते हैं सेलिब्रेशन
गाय का दूध, गाय का घी, दही और छांछ भी मनुष्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक माना जाता है. इसलिए इस त्योहार के जरिए हम गौ माता के लिए इस त्योहार को सेलिब्रेट करते हैं. हिन्दू संस्कृति में गाय को मां का दर्जा दिया गया है.
ऐसे कृष्ण का नाम हुआ गोविंद
स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गावं वाक्यप्रचोदितः|
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि॥ [विष्णु पुराण 5/12/12]
इस श्लोक का भावार्थ है- हे कृष्ण! अब मैं गौऔं के वाक्यानुसार ही आपका उपेंद्र पद पर अभिषेक करूंगा और आप गौऔं के इंद्र हैं, इसलिए आपका नाम गोविंद भी होगा. इसी दिन श्लोक के कारण बगवान कृष्ण का एक नाम गोविंद भी हुआ.
भगवान कृष्ण होते हैं खुश
गोपाष्टमी के दिन गौ माता की सेवा के बाद श्री कृष्ण चालीसा का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान कृष्ण काफी प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि विधि विधान और भक्ति भाव के साथ अगर इस चालीसा का पाठ करते हैं तो जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)