Gupteshwar Mahadev Mandir Mystery: सावन का महीना सबसे पवित्र और पावन माना गया है. भगवान भोले को समर्पित यह महीना उनके अलग अलग चमत्कारों को समर्पित माना गया है. ठीक वैसे ही आज हम आपको भारत के ऐसे मंदिर के बारे में बताने वाले हैं जहां महादेव के शिवलिंग को लेकर कई रोचक कहानियां सामने आई हैं.


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राजस्थान के सिरोही जिले के उमरणी गांव के पास का क्षेत्र इतिहास में अमरावती के नगर के लिए जाना गया है. जहां पर आज भी कई प्राचीन मंदिर दबे मिले रहे हैं. यहीं पर एक ऐसा मंदिर प्राप्त किया गया, जिसे तीन साल पहले खोजा गया था. बता दें कि यहीं पर भद्रकाली मंदिर है जिसके पीछे वहां रह रहे निवासियों को जमीन में दबा एक शिवलिंग मिला था. जिसका इतिहास काफी पुराना है, जिसके बारे में आइए विस्तार में जानें.


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जानें अमरावती में दबी मिली इस शिवलिंग की कहानी


बता दें कि अमरावती नगरी राजा अम्बरीष की राजधानी हुआ करती थी. उनके शासन काल के कई मंदिर जो भगवान ऋषिकेश, भद्रकाली और महादेव को समर्पित है. आज यहां लोग दूर दूर से दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं सावन महीने में तो गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए भक्त दूर दूर से आते हैं.


जानें इस गुप्तेश्वर महादेव मंदिर मिलने की रोचक कहानी


गुप्तेश्वर महादेव मंदिर मिलने की काफी रोचक कहानी है. इस मंदिर का शिवलिंग उल्टा हो रखा था, जो जमीन में  3-4 फीट अंदर था. मंदिर के आसपास प्राचीन प्रतिमाएं और मंदिर की बनावट भी मिली है, जो कि भव्य मंदिर होने का अहसास कराता है. मंदिर के पास एक गुफा भी है, जिसे गोगा महाराज की गुफा मानते हैं. यहां पर बना शिवलिंग 3 से 4 फीट का होगा, जिसका अधिकतम हिस्सा जमीन के अंदर है. यहा पर भगवान शिव के सवारी नंदी की भी खंडित मूर्ति है.


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अनदेखी में खो रहा है मंदिर का अस्तित्व


गुप्तेश्वर महादेव मंदिर का काफी सुंदर और ऐतिहासिक अस्तित्व है, जिसकी अनदेखी हो रही है. बता दें कि मंदिर के सामने ही एक विशाल कुंड है, जिसे सूरज कुंड कहते हैं. यह आकार में पूरी तरह से गोल है. कुंड में जाने के लिए चारों ओर सीढ़ियां बनी हुई हैं, जिनकी बनावट देखते बनती है. दरअसल इसका प्रयोग जल संरक्षण के लिए किया जाता था.  


यहां पर एक भेरू मंदिर भी है जिसके आगे काफी पूराना जलाशय है. प्राचीन धरोहर की अनदेखी की वजह से इसका अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)