नई दिल्ली: एक प्रश्न हमेशा मन आता है कि हमारी पूजा मां भगवती तक पहुंचती कैसे है? सनातन धर्म में पूजा के विधान मानसिक जाप के साथ-साथ मंत्र उच्चारण, हवन‌ और पाठ आदि हैं. बच्चा गर्भनाल के साथ अपनी मां से जुड़ता है. गर्भनाल से अलग होकर भी मां अपने बच्चे से मानसिक रुप से इतनी जुड़ी रहती है कि बच्चे के भाव मां को‌ अलग-अलग अनूभूति कराते हैं और मां समझ जाती है कि क्या उसे जरूरत है. मां दुर्गा को जगत जननी कहा गया है वो पूरे संसार को उत्पन्न करने वाली हैं. उनके बच्चे पृथ्वी पर आने के बाद भी वो अपनी जगत जननी मां से जुड़े रहते हैं. मन के भावों को मां तक पहुंचाने का सबसे बढ़िया रास्ता है कि जितने तीव्र भाव होंगे उतनी तेजी से मां तक बात पहुंचती है. मन के भावों के ट्रांसफर को इस दुनिया का विज्ञान टेलीपैथी कहता है. हालांकि भाव के साथ कुछ आध्यात्मिक क्रियाएं, विशेष पूजा पद्धति से की गई आराधना बहुत बार चमत्कार उत्पन्न कर देती है. आइए नवरात्रि (Navratri) की बात करते हैं. नवरात्र वो दिन है जब कॉस्मिक एनर्जी की पोजिशनिंग इस तरह होती हैं जब आध्यात्मिक क्रियाओं का असर तुरंत होता है.


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मां महागौरी की विशेषता


मां दुर्गा का अष्टम (8th) रुप महागौरी है. दुर्गापूजा का आठवां दिन महागौरी की उपासना का है. नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है. नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं. इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है. इनकी चार भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए माता को वृषारूढ़ा भी कहा गया है. इनके ऊपर वाले दाहिने हाथ की अभय मुद्रा है और नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किए हुए है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है. इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है.


पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी. इसी कारण से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया. उनका रूप गौर वर्ण का हो गया इसीलिए यह महागौरी कहलाईं.


मां महागौरी अतुल फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के सब बुरे कर्म धुल जाते हैं. पुराने समय में किए गए पाप भी नष्ट हो जाते हैं. महागौरी की पूजा-अर्चना, उपासना और आराधना कल्याणकारी है. इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं.


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मां दुर्गा ने शेर को अपना वाहन क्यों बनाया


एक मान्यता के अनुसार एक बार एक भूखा शेर भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं. देवी को देखकर शेर की भूख बढ़ गई लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का प्रतीक्षा करने के लिए वहीं बैठ गया. इस प्रतीक्षा में वह काफी कमजोर हो गया. देवी जब तप से उठीं तो शेर की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आई. उन्होनें फिर दया भाव और प्रसन्नता से शेर को ही अपना वाहन बना लिया क्‍योंकि वह उनकी तपस्या पूरी होने के प्रतीक्षा में स्वंय भी तप करने बैठा था. कहते हैं जो स्त्री मां की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं.


आज का मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥


इसके अलावा दुर्गा सप्तशती का पाठ करना है और हवन भी करना है. विशेष ध्यान रखें कि प्रत्येक स्त्री समुदाय चाहे बड़ी हो या बाल रूप में उनका सम्मान किए बिना मां दुर्गा की कोई भी पूजा सफल नहीं हो सकती. इसीलिए अपने आसपास मां, बहन, बुआ, मामी, भांजी, भतीजी, चाची, भाभी और बेटी आदि सभी का उचित सम्मान करें. उन पर गुस्सा करना या हिंसा करना सबसे बड़ा अपराध साबित होगा.


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