Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी पर जरूर करें ये काम, भगवान विष्‍णु की कृपा पूरी करेगी हर बड़ी मनोकामना
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Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी पर जरूर करें ये काम, भगवान विष्‍णु की कृपा पूरी करेगी हर बड़ी मनोकामना

Kamada Ekadashi 2024 Vrat Katha: कामदा एकादशी का व्रत सारी मनोकामनाएं पूरी करने और मोक्ष दिलाने वाला है. इस साल कामदा एकादशी व्रत कब है और इसका पूरा फल पाने का तरीका जानें. 

Kamada Ekadashi: कामदा एकादशी पर जरूर करें ये काम, भगवान विष्‍णु की कृपा पूरी करेगी हर बड़ी मनोकामना

Kamada Ekadashi kab hai: चैत्र मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी व्रत रखा जाता है. कामदा एकादशी का व्रत रखना और इस दिन भगवान विष्‍णु की विधि-विधान से पूजा करना बड़ा लाभ देता है. मान्‍यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने और पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा कामदा एकादशी का व्रत मोक्ष प्राप्ति भी कराता है. इस साल कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल, शुक्रवार को रखा जाएगा. चूंकि शुक्रवार का दिन मां लक्ष्‍मी को समर्पित है. ऐसे में इस बार कामदा एकादशी का व्रत भगवान विष्‍णु के साथ मां लक्ष्‍मी की भी कृपा पाने के लिए विशेष है. 

कामदा एकादशी का महत्‍व

धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार कामदा एकादशी व्रत का पूरा फल तभी मिलता है, जब इसकी विधि-विधान से पूजा की जाए और कामदा एकादशी व्रत कथा जरूर पढ़ी जाए. कामदा एकादशी की कथा पढ़ने-सुनने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. जातक के पुण्‍य बढ़ते हैं, मोक्ष पाने का रास्‍ता खुलता है. मान्‍यता है कि विधि-विधान से रखा गया कामदा एकादशी व्रत 100 यज्ञ करने जितना फल देता है. 

कामदा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की कथा सुनाई थी. इसके अनुसार प्राचीनकाल में पुंडरीक नाम का राजा था, जो भोग-विलास में डूबा रहता था. उसके राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहा करते थे. दोनों में अथाह प्रेम था. एक दिन राजा की सभा में ललित गीत गा रहा था लेकिन तभी उसका ध्यान अपनी पत्नी पर चला गया और उसका स्वर बिगड़ गया. यह देखकर राजा पुंडरीक क्रोधित हो गया और उसने ललित को राक्षस बनने का शाप दे दिया. 

श्राप के प्रभाव से ललित मांस का भक्षण करने वाला राक्षस बन गया. अपने पति का हाल देखकर ललित की पत्नी बहुत दुखी हुई. उसने पति को ठीक करने के लिए कई प्रयास किए. तभी उसे किसी ने श्रृंगी ऋषि के पास जाने के लिए कहा. ललिता विंध्याचल पर्वत पर स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम गई और उन्‍हें पति का पूरा हाल कह सुनाया. ऋषि ने ललिता को मनोकामना पूरी करने वाला व्रत कामदा एकादशी का व्रत रखने के लिए कहा. साथ ही ऋषि ने कहा कि अगर वो कामदा एकादशी का व्रत रखती है, तो उसके पुण्य से उसका पति ललित फिर से मनुष्य योनि में आ जाएगा. 

इसके बाद ललिता ने श्रृंगी ऋषि द्वारा बताई गई विधि से कामदा एकादशी का व्रत रखा. व्रत के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान पूजा की और फिर द्वादशी को पारण करके व्रत को पूरा किया. ललिता की भक्ति से भगवान विष्णु प्रसन्‍न हुए और ललिता के पति को फिर से मनुष्य योनि में भेजकर उसे राक्षस योनि से मुक्त कर दिया. इस प्रकार दोनों का जीवन कष्टों से मुक्त हो गया. इसके बाद वे दोनों जीवनभर श्री हरि का भजन-कीर्तन करते रहे और आखिर में ललित-ललिता दोनों को मोक्ष की प्राप्ति हुई. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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