नई दिल्ली: सिर्फ साधु-महात्माओं को ही नहीं बल्कि आम लोगों को भी रुद्राक्ष की माला (Rudraksha) पहने आपने देखा होगा. मंत्र जाप (Mantra Jaap) करने के लिए अधिकतर घरों में रुद्राक्ष की माला का ही इस्तेमाल किया जाता है. खासकर कुंभ के दौरान आए नागा साधुओं (Naga Sadhu) को रुद्राक्ष धारण किए आपने जरूर देखा होगा. हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बेहद पवित्र माना गया है क्योंकि इसका संबंध भगवान शिव से है. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) का संचार करता है और सेहत को भी बेहतर बनाने में मदद करता है. रुद्राक्ष को धारण करने मात्र से ही कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं. हम आपको बता रहे हैं कि कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति और इसे पहनने के क्या-क्या फायदे हैं.


शिव के आंसू से हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति


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रुद्राक्ष 2 शब्दों से मिलकर बना है- रुद्र और अक्ष. रुद्र का अर्थ है भगवान शिव (Lord Shiva) और अक्ष का अर्थ है आंसू (Tears). शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा बतायी गई है. पौराणिक कथाओं की मानें तो देवी सती के वियोग में एक बार भगवान शिव का हृदय द्रवित हो गया और उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े जो कई स्थानों पर गिरे. जहां-जहां भगवान शिव के आंसू गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के वृक्ष (Rudraksha Tree) की उत्पत्ति हुई. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष हर किसी की मनोकामना पूरी कर सकता है.


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आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु (Sadhguru) की मानें तो रुद्राक्ष, नकारात्मक ऊर्जाओं (Negative Energy) के खिलाफ एक कवच की तरह काम करता है. आज के समय में पहाड़ी इलाकों में एक खास ऊंचाई पर, खासकर हिमालय में एक ऊंचाई के बाद पाए जाते हैं रुद्राक्ष के वृक्ष. इसकी पत्तियां हरी होती हैं और फल भूरे रंग और खट्टे स्वाद वाले होते हैं. रुद्राक्ष का वृक्ष खास जगहों पर ही पाया जाता है क्योंकि मिट्टी, वातावरण और हर चीज का प्रभाव इस पर पड़ता है. इसके बीजों में एक विशिष्ट स्पंदन होता है. 


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रुद्राक्ष पहनने के फायदे


प्रत्येक रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं, इन धारियों को रुद्राक्ष का मुख कहते हैं. इन धारियों की संख्या 1 से लेकर 21 तक हो सकती है. इन्हीं धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक किया जाता है यानी रुद्राक्ष में जितनी धारियां होंगी, वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है. 
- ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष पहनने से शारीरिक और मानसिक मजबूती आती है और व्यक्ति की सेहत बनी रहती है.
- एक मुखी रुद्राक्ष दुर्लभ होता है और बहुत कम पाया जाता है और इसकी कीमत भी अधिक होती है. लेकिन इसकी खासियत ये है कि एक मुखी रुद्राक्ष हृदय संबंधी रोगों को दूर करने में मदद करता है. यह शरीर में खून के संचार को बेहतर बनाता है.
- आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु कहते हैं कि पंचमुखी रुद्राक्ष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है. यह समान्य खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए है. इसे पहनने से ब्लड प्रेशर कम होता है, तंत्रिकाएं शांत होती हैं और स्नायु तंत्र यानी लिगामेंट्स में सतर्कता आती है.
- सद्गुरु कहते हैं कि 14 साल से छोटे बच्चे को शानमुखी, यानी छह मुखों वाला रुद्राक्ष पहनना चाहिए, यह उनको शांत और एकाग्र बनने में सहायता करेगा.
- इसके अलावा यह भी मान्यता है कि जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती. ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है.


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