Masik Durgashtami 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है. वहीं, इसका समापन नवमी तिथि के साथ होता है. इस साल गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी से शुरु हुईं थी और 18 फरवरी को समाप्त होंगी. पंचांग के अनुसार आज यानी 17 फरवरी को मासिक दुर्गाअष्टमी है. नवरात्रि में अष्टमी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.


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मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 59 मिनट तक है. इस दौरान आप जगत जननी की विधि विधान से पूजा कर सकते हैं. 


 


मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन मां दुर्गा की कृपा में सुख शांति आती है. इसी के साथ मां दुर्गा सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. 


 


पूजा विधि
मासिक दुर्गाष्टमी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
पूजा करने का संकल्प लें और फिर पूजा के स्थान, घर को गंगाजल के छिड़काव से पवित्र करें.
मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं.
माता रानी को अक्षत, सिन्दूर और लाल फूल अर्पित करें.
आज के दिन दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती और दुर्गा आरती जरूर करें.
इसके बाद माता रानी का प्रिय भोग अर्पित कर पूजा का समापन करें.


 


यहां पढ़ें मां दुर्गा की आरती


 


मां दुर्गा की आरती (Maa Durga Aarti Lyrics in Hindi)


 


जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी


चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी


भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी


श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)