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Gita Updesh on Success: हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता को सभी ग्रंथों में से एक माना जाता है. श्रीमद्भगवद्गीता का अपना ही एक महत्व है. श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय हैं जिनमें 700 श्लोक हैं. जिसे अब तक कई भाषाओं में लिखा जा चुका है. बता दें कि श्रीमद्भगवद्गीता में कई ऐसे उपदेश हैं जिनसे व्यक्ति को जीते जी ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.
श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने विश्व रूप में प्रकट हो कर अर्जुन को गीता के द्वारा कई ऐसे उपदेशों के बारे में बताया जिसके बाद ही अर्जुन अपनों के विरोध धर्म और अधर्म की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हुए और आखिर में जीत भी हासिल किए. दरअसल आज हम गीता के उपदेशों के द्वारा यह जानेंगे कि व्यक्ति को कैसे फल की चिंता किए बिना ही कर्म पर केवल ध्यान देना चाहिए!
फल की चिंता किए बिना कैसे करें कर्म
गीता के उपदेश के अनुसार व्यक्ति अगर जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है तो उसे फल की चिंता किए बिना ही केवल कर्म पर ध्यान देना चाहिए. व्यक्ति को कभी भी किसी कार्य को करने के लिए उसके परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए. गीता की मानें तो ऐसे ही लोगों के कदम सफलता चूमती है.
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन.
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि..
गीता के इस श्लोक के अनुसार तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फलों में कभी भी नहीं. तुम्हारे कर्मों का फल तुम्हारा उद्देश्य नहीं होना चाहिए. गीता के इस श्लोक के अनुसार व्यक्ति को केवल और केवल अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए. बजाय इसके कि उसका परिणाम क्या होगा.
यदि हम अपने कार्यों को बिना निष्ठा भाव से सच्चे मन से करते हैं तो सोसायटी में मान सम्मान भी हासिल होता है. यदि हम अपने कर्तव्यों को सही तरीके से निभाते हैं तो सफलता अपने आप हमारे पास खुद पर खुद चली आती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)