Mahilaon se Jude Shankvadan ke Niyam: सुबह-शाम पूजा के पश्चात शंख बजाना सनातन धर्म की सामान्य परंपरा है. लेकिन क्या महिलाएं भी यह कार्य कर सकती हैं. इस बारे में हमारे शास्त्र क्या कहते हैं.
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Rules Related to Women Blowing Conch: सनातन धर्म में पूजा करते समय घर या मंदिर में शंख ध्वनि करना बहुत शुभ माना जाता है. कहते हैं कि ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा भाग जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. यहीं नहीं, जिस घर में प्रतिदिन शंख बजाया जाता है, वहां पर मां लक्ष्मी का वास बना रहता है. ऐसे स्थान पर कभी भी धन की कमी नहीं रहती. शंख बजाने से सांस संबंधी कई परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. लेकिन इसमें एक सवाल उभरता है कि क्या स्त्रियां भी शंख बजा सकती हैं या उनके लिए ऐसा करना वर्जित है? आइए आज इस संबंध में हम आपका भ्रम दूर करने जा रहे हैं.
शंख बजाने पर क्या थीं प्राचीन परंपराएं?
सनातन धर्म की प्राचीन परंपराओं को देखें तो पहले शंख वादन केवल पुरुष ही किया करते थे क्योंकि उस वक्त यह कार्य पुरुषों से जुड़ा हुआ माना जाता था. हालांकि इसके लिए शास्त्रों में कोई स्पष्ट विधान नहीं है और यह स्थानीय परंपरा, संस्कृति और व्यक्तिगत मान्यताओं पर ज्यादा निर्भर करता है.
क्या महिलाएं कर सकती हैं शंखनाद?
आधुनिक समय की बात करें तो अब लोगों के दृष्टिकोण में काफी बदलाव आया है और अब महिलाएं शंखवादन कर सकती हैं. लिंग के आधार पर अब महिलाओं के शंख बजाने पर कोई रोक नहीं है. वर्तमान समय में कई स्थानों पर महिलाएं अब पूजा के पश्चात शंख बजाना अपनी आस्था और कर्तव्य का हिस्सा मानती हैं.
इन महिलाओं को नहीं करना चाहिए शंखनाद
महिलाओं के शंख बजाने पर तो कोई रोक नहीं है लेकिन कुछ महिलाओं को अक्सर शंख न बजाने की सलाह दी जाती है. इन महिलाओं में वे शामिल हैं, जो गर्भवती होती हैं. कहते हैं कि शंख बजाने से नाभि पर दबाव पड़ते हैं. ऐसे में गर्भवती महिला के शंख बजाने से कोख में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है. लिहाजा उन्हें शंखनाद नहीं करना चाहिए. बाकी सब महिलाएं खुलकर शंख बजा सकती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)