कौन हैं भगवान धन्‍वंतरि? जिनकी फोटो मेडिकल काउंसिल के लोगो में जोड़ने पर मचा बवाल
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कौन हैं भगवान धन्‍वंतरि? जिनकी फोटो मेडिकल काउंसिल के लोगो में जोड़ने पर मचा बवाल

Lord Dhanvantari Photo: नेशनल मेडिकल काउंसिल ने अधिकारिक लोगो में बदलाव करके हिंदू धर्म में आरोग्‍य के देवता माने गए भगवान धन्‍वंतरि की रंगीन फोटो जोड़ी है. साथ ही इंडिया की जगह भारत लिखा है. 

कौन हैं भगवान धन्‍वंतरि? जिनकी फोटो मेडिकल काउंसिल के लोगो में जोड़ने पर मचा बवाल

Dhanvantari dev on NMC Logo: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने अपने आधिकारिक लोगो में कुछ बदलाव किए हैं. लोगो में अब 'इंडिया' की जगह 'भारत' लिखा है. साथ ही आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की रंगीन फोटो भी जोड़ी गई है. एनएमसी द्वारा लोगो में बदलाव करते ही उसकी आलोचना होने लगी हैं. लोगों का कहना है कि देश के शीर्ष चिकित्सा नियामक ने लायन कैपिटल को छोड़ दिया है, जबकि यह हमेशा से लोगो का हिस्‍सा रहा है. इस पर आयोग ने कहा है कि चूंकि अब इंडिया की जगह भारत का इस्‍तेमाल पूरे देश में हो रहा है इसलिए यह बदलाव उचित है. इसके अलावा भगवान धन्‍वंतरि का चित्र पहले से ही लोगो में था, बस अब उसे ब्‍लैक एंड व्‍हाइट की जगह कलर कर दिया गया है. इस मौके पर जानते हैं कि भगवान धन्‍वंतरि कौन हैं, उनकी उत्‍पत्ति कैसे हुई? 

कौन हैं भगवान धन्‍वंतरि?

भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वें अवतार माने गए हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुई थी. इसी तिथि को भगवान धन्‍वंतरि समुद्र मंथन में से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. समुद्र मंथन में से चौदह प्रमुख रत्न निकले थे जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे. चार भुजाधारी भगवान धन्वंतरि के एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख विद्यमान है. इसी के चलते धन त्रयोदशी तिथि भगवान धन्‍वंतरि को समर्पित है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है. 
 
...इसलिए कहे जाते हैं आरोग्‍य के देवता 

शास्‍त्रों के अनुसार भगवान धन्वंतरी ने ही संसार के कल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की थी. भगवान धन्‍वंतरि ने ही दुनिया की तमाम औषधियों के प्रभावों के बारे में धन्‍वंतरि संहिता में लिखा है, जो कि आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है. माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र के पुत्र सुश्रुत ने इन्हीं से आयुर्वेदिक चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की और आयुर्वेद के 'सुश्रुत संहिता' की रचना की.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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