Numerology: मूलांक से जानें किस अंक के जातक कौन से रोग का हो सकते हैं शिकार, क्या हैं बचने के उपाय
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Numerology: मूलांक से जानें किस अंक के जातक कौन से रोग का हो सकते हैं शिकार, क्या हैं बचने के उपाय

Number Astrology: ज्योतिष शास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव को तो जाना जा ही सकता है. साथ ही, ये भी जाना जा सकता है कि किस मूलांक के जातक किस रोग का शिकार हो सकते हैं और इनसे बचने के खास उपाय. आइए जानें. 

 

फाइल फोटो

Know Health By Mulank: जन्म कुंडली में छठे भाव से रोगों की पहचान की जाती है और उसके ज्योतिषीय उपाय भी बताए जाते हैं जो ज्यादा खर्चीले होते हैं. लेकिन अंक ज्योतिष से रोग की पहचान और बचाव का जो अनोखा तरीका इस लेख में बताया जा रहा है वह आम आदमी के पढ़ने और अनुपालन करने लायक है.

जीवन में सफलता के लिए व्यक्ति का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है. लेकिन प्रत्येक जन्मांक के साथ अंतर्निहित सहज रोग की संभावनाएं होती हैं, और वही जन्मांक उनके बचाव का उपाय भी बताता है, जिसका समुचित लाभ उठाकर व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकता है. 

अंक 1 अर्थात् पहली 10, 19, या 28 तारीख को पैदा हुए व्यक्तियों के लिए जो फल और जड़ी बूटियां उपयोगी है, वह हैं, किशमिश, बबूने के फूल, केसर, लौंग, जायफल, संतरा, नींबू, खजूर,अदरक सौंठ, जौ की रोटी और जौ का पानी आदि. 

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अंक 1 वाले व्यक्तियों को शहद का भी खूब प्रयोग करना चाहिए. उनकी आयु के 19वें, 28वें, और 37वें वर्ष में उनके स्वास्थ्य में किसी न किसी रुप में महत्वपूर्ण परिवर्तन होंगे. ऐसे व्यक्तियों को अक्टूबर, दिसंबर और जनवरी माह में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना चाहिए. 

अंक 2 अर्थात् 2, 11, 20 अथवा 29 तारीख को उत्पन्न हुए व्यक्तियों को पेट अथवा पाचन तंत्र के रोग हो सकते हैं. उन्हें  फोड़ा, गैस, आँखों में सूजन आदि हो सकता है. इन व्यक्तियों के लिए सलाद, गोभी, कुम्हड़ा, खीरा, ककड़ी, तरबूज, करम का साग, केला उपयोगी होता है. 20वें, 25वें, 29वें, 43वें, 47वें, 52वें, और 65वें वर्ष में उनके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन आते हैं. उन्हें जनवरी, फरवरी और जुलाई आदि महीनों में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. 

अंक 3  अर्थात् 3, 12, 21, या 30 तारीख को पैदा हुए व्यक्तियों में यह इच्छा होती है कि वे जो काम कर रहे हैं, उसमें कुछ बाकी न रह जाये. इसलिए अधिक कार्य करने के कारण उनके स्नायु - तंत्र पर अधिक जोर पड़ता है, उन्हें तंत्रिकाओं में सूजन, सायटिका दर्द और अनेक त्वचा रोग हो सकते हैं. 

इन लोगों के लिए चुकन्दर, पत्थरचूर, शतावर, चेरी, स्ट्राबेरी, सेव, शहतूत, नाशपाती, जैतून, अनार, अन्नास , अंगूर, केसर, जायफल, लौंग, बादाम, अंजीर और पहाड़ी बादाम आदि उपयोगी होती हैं. उन्हें दिसम्बर, फरवरी, जून और सितम्बर में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. उनके जीवन के 12वें, 21वें, 39वें, 48वें, और 57वें वर्ष में स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन का योग रहता है. 

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अंक 4  अर्थात् 4, 13, 22, या 31 तारीख को पैदा हुए लोगों को कुछ महत्वपूर्ण रोग होने का भय रहता है जिसका निराकरण होना कठिन होता है. उनको मानसिक अस्वस्थता, रक्त की कमी, सिर, कमर और गुर्दों में पीड़ा हो सकती है. इस अंक वाले व्यक्तियों के लिए पालक, सर्दियों की हरी सब्जियां आदि उपयोगी हैं.

अंक 4 वाले लोगों को सुझाव से भी लाभ पहुंचता है. लेकिन उन्हें नशीली दवाओं, मसालेदार भोजन से परहेज करना चाहिए. उन्हें जनवरी, फरवरी, जुलाई, अगस्त और सितम्बर माह में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. स्वास्थ्य की दृष्टि से उनके लिए 12वां, 13वां, 31वां, 40वां, 49वां और 58वां वर्ष महत्वपूर्ण होते हैं. 

अंक 5 अर्थात् 5, 14, 23 तारीख में पैदा हुए व्यक्ति बहुत अधिक तनाव में रहते हैं. आंखों चेहरे और हाथों के टेढ़े – मेढ़े होने का भय बना रहता है. वे अनिद्रा अथवा अधरंग आदि के शिकार हो सकते हैं. उनके लिए सोना, आराम करना और शांत रहना ही सबसे अच्छी औषधियां है.

अंक 5 वालों के लिए चुकंदर, ओट्समील अथवा ओट्स की रोटी के रुप में ओट्स, अखरोट और पहाड़ी बादाम आदि उपयोगी रहते है. अंक 5 वाले व्यक्तियों को जून, सितम्बर और दिसम्बर के महीनों में अपने स्वास्थ्य के संबंध में सतर्क रहना चाहिए. स्वास्थ्य की दृष्टि से उनके लिए 10वां, 41वां, और 50वां वर्ष महत्वपूर्ण होता है. 

अंक 6 अर्थात् 6, 15, या 24 तारीख को पैदा हुए व्यक्तियों के लिए सभी प्रकार की फलियां, पालक, चुकन्दर, तरबूज, अनार, सेव, नाशपाती, खुबानी, अंजीर, अखरोट, बादाम और गुलाब के पत्ते आदि फल और जड़ी – बूटियां उपयोगी रहती हैं. इन व्यक्तियों को मई, अक्टूबर, और नवम्बर के महीने में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इनका 15वां, 24वां, 42वां, 51वां और 60वां वर्ष स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है. 

अंक 7 अर्थात् किसी भी महीने की 7, 16, या 25 तारीख को पैदा हुए व्यक्ति अन्य श्रेणी के व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक चिंतित रहते हैं. जब तक वह ठीक रहते हैं, जितना चाहे काम करते रहते है. परन्तु जब परिस्थितियों के कारण चिंतित हो जाते हैं, तो सोचने लगते है कि सब चीजें गलत हैं और निराश हो जाते हैं. उनके आसपास के वातावरण पर उनके स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है. वह शरीर की अपेक्षा मानसिक रुप से सजग होते हैं. 

त्वचा बहुत अधिक मुलायम तथा चोट आदि के प्रति संवेदनशील होती है. किसी ऐसी चीज के खाने से जो हजम न हो और अनुकूल न हो तो शरीर पर फुंसियां निकल आती है. इन व्यक्तियों के लिए सलाद, गोभी, चिंकोरी, खीरा, ककड़ी, अलसी, खुंबी, सेव, अंगूर सभी फलों के रस उपयोगी हैं. जनवरी, फरवरी, जुलाई और अगस्त के महीने में इन लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए. स्वास्थ्य परिवर्तन की दृष्टि से 7वां, 16वां, 25वां, 34वां 43वां  52वां और 61वां वर्ष इनके लिए महत्वपूर्ण वर्ष है.

अंक 8 अर्थात् किसी भी महीने की 8, 17, 26, तारीख को पैदा हुए व्यक्तियों को अन्य लोगों की अपेक्षा लीवर, पित्ताशय, आंतों तथा मलोत्सर्जन से संबंधित कष्ट होने की संभावना रहती है. उन्हें सिरदर्द, रक्त विकार तथा गठिया आदि बीमारियों के होने का भय रहता है. उन्हें जहां तक संभव हो फलों और सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए. ऐसे व्यक्तियों को पालक, गाजर, केला, अजमोद आदि का प्रयोग करना चाहिए. जनवरी, फरवरी और जुलाई के महीनों में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. शक्ति से अधिक कार्य करने से कष्ट हो सकता है. उनके स्वास्थ्य के लिए 17वां, 26वां, 35वां, 62वां वर्ष महत्वपूर्ण हो सकता है. 

अंक 9 अर्थात् किसी भी महीने की 9, 18, या 27 तारीख को उत्पन्न हुए व्यक्तियों को सभी तरह के बुखार, खसरा, माता, चिकनपॉक्स, चकत्ते आदि रोग होने का भय रहता है. उन्हें अधिक पौष्टिक भोजन और मध सेवन से बचना चाहिए. उन्हें प्याज, लेहसुन, मूली, अदरक, मिर्च, रेवन्दचीनी, मंजिष्ठा का सेवन करना चाहिए. ऐसे व्यक्तियों को अप्रैल, मई,  अक्टूबर और नवम्बर के महीनों में अपने स्वास्थ्य का विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए. स्वास्थ्य की दृष्टि से उनके जीवन का 9वां, 18वां, 27वां, 36वां, 45वां, और 63वां वर्ष महत्वर्पूण होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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