Chaitra Navratri 2023: उपासना का पर्व 9 दिनों के चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाएगी. आज के लेख में एक ऐसे मंदिर के बपारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी महिमा अपरंपार है. यहां मौजूद मां की मूर्ति दिन में 3 बार स्वरूप बदलती है.
भगवान शिव की भक्त अहिल्याबाई की नगरी इंदौर में जितने प्राचीन शिव मंदिर हैं, उतने ही प्राचीन देवी मंदिर भी हैं. देवी दुर्गा को समर्पित ऐसा ही एक दिव्य मंदिर शहर के मध्य में बना हुआ है. यह मंदिर राजवाड़ा के समीप सुभाष चौक पर स्थित है. यह भक्तों के आस्था का केंद्र है.
इस मंदिर का इतिहास होलकर राजवंश से जुड़ा है. यहां देवी दुर्गा महिषासुर मर्दिनी के रूप में स्थापित है. जिस स्थान पर आज मंदिर है वह स्थान कभी होलकर सेना की चौकी हुआ करता था. ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा ने तुकोजीराव होलकर प्रथम को स्वप्न में दर्शन देकर यह मूर्ति महेश्वर के पास सहस्त्रधारा से निकालकर इंदौर में स्थापित करने को कहा था.
इसके बाद तुकोजीराव ने मूर्ति को मंदिर बनाकर स्थापित किया. सफेद संगमरमर से बनी इस मूर्ति पर तिल भी हैं जो किसी के द्वारा बनाए नहीं गए हैं. इस मूर्ति दिन में तीन बार मां का स्वरूप बदलता है. सुबह बाल्यावस्था, दोपहर में युवा और शाम को वृद्धा अवस्था के भाव मां के चेहरे पर नजर आते हैं.
मां की पूजा और श्रृंगार मराठी परंपरानुसार होता है. होलकर कालीन मंदिर होने के कारण मराठीभाषी परिवारों की यहां गहरी आस्था है. भक्तों का कहना है कि महिषासुर मर्दिनी के रूप में मां दुष्टों का नाश करती हैं.
यहा नवरात्रि के अलावा स्थापना दिवस पर भी विशेष अनुष्ठान होते हैं. नवरात्रि में दिन में दो बार देवी का श्रृंगार किया जाता है।. मां के दर्शन कर न केवल मन को शांति मिलती है, बल्कि मनोकामना भी पूरी होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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