Surya Ko Arghya: छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कि 30 अक्टूबर को भक्तों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने परिवार के सुख और शांति के लिए प्रार्थना की.
छठ पूजा के तीसरे दिन भक्तों ने पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया. इस दौरान देश की राजधानी से लेकर बिहार,झारखंड को मुंबई तक में लोगों ने भगवान सूर्य से परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना की.
छठ पूजा में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व बताया गया है. अब अगले दिन यानी कि 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 27 मिनट पर होगा.
छठ पर्व का पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है. कार्तिक मास में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है, ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान न करें.
षष्ठी तिथि का संबंध संतान की आयु से भी होता है. सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा से संतान प्राप्ति और और उसकी आयु की रक्षा हो जाती है. छठ के महापर्व में कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम को किसी नदी या तालाब में जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
भगवान भास्कर को अर्घ्य एक बांस के सूप में फल, ठेकुआ प्रसाद, ईख, नारियल रखकर दिया जाता है. इसके बाद कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.
अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को जल में दूध डालकर अंतिम किरण को अर्घ्य देने का विधान है. मान्यता है कि भगवान सूर्य की पत्नी प्रत्यूषा को यह अर्घ्य समर्पित है. (Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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