भारत के उत्तर में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. यह देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां पर माता सती की जिह्वा गिरी थी. इस मंदिर में धरती से निकली ज्वाला हमेशा जलती रहती है इसलिए इसे ज्वाला देवी मंदिर कहते हैं.
असम की राजधानी गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या शक्तिपीठ है. इसे 51 शक्तिपीठों में पहले नंबर पर रखा जाता है. यहां पर माता सती की योनि गिरी थी और इसलिए यहां माता रजस्वला होती हैं. कहते हैं इस मंदिर में मानी गई हर मन्नत पूरी होती है. यह देश-विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.
नैनीताल के नैना देवी मंदिर में माता सती के 2 नेत्र स्थापित हैं. जिनकी पूजा की जाती है. इस मंदिर का भी बहुत महत्व है.
राजस्थान में बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित करणी देवी का मंदिर भी बहुत मशहूर है. इसकी वजह इस मंदिर में रहने वाले ढेर सारे चूहे भी हैं. इस मंदिर को चूहे वाला मंदिर भी कहते हैं. यहां आने वाले भक्त चूहों के लिए भी भोजन लाते हैं.
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थित मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर बहुत खूबसूरत है. कहते हैं कि करीब 170 साल पहले जान बाजार की महारानी रासमणि को मां काली ने सपने में आकर यह मंदिर बनवाने का आदेश दिया था. इस मंदिर को देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं.
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