नई दिल्‍ली: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को भोग लगाए बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती है. भोग में देवी-देवताओं को फल, मिठाइयां, पकवान, पंचामृत  आदि अर्पित किए जाते हैं. खास बात ये भी है कि हर देवी-देवता को अलग-अलग तरह का भोग लगाया जाता है. साथ ही उन्‍हें भोग लगाने को लेकर शास्त्रों में कुछ नियम भी बताए गए हैं. इन नियमों का पालन न करने पर भगवान भोग स्‍वीकार नहीं करते हैं. लिहाजा भोग लगाने से जुड़ी कुछ बातें जरूर जान लेनी चाहिए. 


भगवान को प्रसन्‍न करने का अहम तरीका है भोग 


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धर्म-शास्‍त्रों के मुताबिक यदि देवी-देवताओं को उनका प्रिय भोग सही तरीके से लगाया जाए तो वे प्रसन्‍न होते हैं. वे मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं और उनकी कृपा से सारे दुख-दर्द भी दूर हो जाते हैं. इसके अलावा भोग लगाते समय कुछ जरूरी बातों का भी ध्‍यान रखना चाहिए. वरना देवी-देवताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. 


- भगवान का भोग हमेशा शुद्ध घी से ही बनाएं. भोग बनाने में तेल, मसालों और मिर्च का उपयोग न करें. ऐसा भोजन राजसिक भोजन होता है. जबकि भगवान को हमेशा सात्विक चीजें ही अर्पित करनी चाहिए. 


- भगवान को जब भी भोग लगाएं तो भोग को उनके सामने से तुरंत न हटाएं, बल्कि पूरे श्रद्धा भाव से भोग लगाने के बाद कुछ देर के लिए खुद भी वहां से हट जाएं तो फिर थोड़ी देर बाद भोग को भगवान के सामने से हटाएं. भोग हटाने से पहले भगवान को नमन जरूर करें. 


- भगवान को लगाया गए भोग को प्रसाद के रूप में स्‍वयं ग्रहण करना चाहिए. लेकिन इससे पहले इसका कुछ हिस्‍सा गाय को जरूर खिलाएं. इससे देवी-देवता जल्‍दी प्रसन्‍न होते हैं. 


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- अलग-अलग देवी-देवताओं को कुछ चीजें अर्पित करने की मनाही होती है, इसका ध्‍यान रखें और उन्‍हें उन चीजों का भोग न लगाएं. जैसे भगवान शंकर और भगवान गणेश को कभी भी तुलसी दल न चढ़ाएं. 


- इसी तरह भगवान शंकर को हल्‍दी भी नहीं चढ़ाई जाती है. उनका हमेशा चंदन से तिलक करना चाहिए. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)